क्या भ्रष्टाचारजनित काले धन पर टिकी
अर्थ व्यवस्था से खुश होगी जनता ?
--सुरेंद्र किशोर--
राहुल गांधी ने एक बार फिर कहा है कि नोटबंदी से देश की अर्थ व्यवस्था टूट गई।
सवाल है कि आमजन के मानस को कब समझेंगे राहुल गांधी ?
नोटबंदी के तत्काल बाद उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव हुआ था।
भाजपा वहां भारी बहुमत से जीत गई।
क्योंकि अधिकतर लोगों को लगा कि नोटबंदी से काले धन की एक हद तक रीढ़ टूटी।
क्योंकि बड़ी मात्रा में काला धन बैंकों में जमा करने की मजबूरी हुई।
सरकार को उस पर टैक्स मिला।
उसके बाद से टैक्स का दायरा भी बढ़ा।
पर, राहुल तो भष्टाचार जनित काले धन पर आधारित अर्थ व्यवस्था के पक्षधर रहे हैं।
इसीलिए राहुल के अघोषित आर्थिक सलाहकार व नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी ने गत साल कहा भी था कि
‘‘चाहे यह भ्रष्टाचार का विरोध हो या भ्रष्ट के रूप में देखे जाने का भय,शायद भ्रष्टाचार अर्थ व्यवस्था के पहियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण था,इसे काट दिया गया है।
मेरे कई व्यापारिक मित्र मुझे बताते हैं निर्णय लेेने की गति धीमी हो गई है।.............’’
दैनिक हिन्दुस्तान,
23 अक्तूबर 2019
क्या किसी देश की अर्थ व्यवस्था को भ्रष्टाचार के सहारे चलने देना चाहिए ?
कभी नहीं।
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--सुरेंद्र किशोर-3 सितंबर 20
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