शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

 संदर्भ-सुशांत सिंह राजपूत की 

गलत पोस्टमार्टम रपट

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  सन 1983 में पटना में चर्चित बाॅबी हत्याकांड हुआ था।

श्वेतनिशा त्रिवेदी उर्फ बाॅबी बिहार विधान परिषद की सभापति राजेश्वरी सरोज दास की दत्तक पुत्री थी।

   बाॅबी की मृत्यु के कारण पर दो डाक्टरों ने परस्पर विरोधी सर्टिफिकेट दे दिए थे।

एक ने लिखा कि आंतरिक रक्तस्त्राव से मरी।

दूसरे डाक्टर ने लिखा कि सहसा हृदय गति रुक जाने के कारण मरी।

  जब पटना पुलिस ने बाॅबी की लाश कब्र से निकाल कर पोस्टमार्टम और वेसरा जांच करवाई तो तीसरा ही कारण सामने आया।

उसे मेलेथियन जहर देकर मारा गया था।

तीसरे डाॅक्टर ने कहा था कि मुझे पता था कि जहर दिया गया था,पर मैंने उसे छिपाया।

इनमेंसे दो डाक्टरों ने बाद में यह स्वीकार किया था कि उन्होंने नेताओं के कहने पर मौत का गलत कारण लिखा। 

  बाॅबी मामले में केंद्र सरकार के उच्चत्तम स्तर से सी.बी.आई.पर दबाव पड़ा कि बाॅबी हत्याकांड को रफादफा कर दो।

अन्यथा, लोकतंत्र के अनेक संचालक कलंकित हो जाएंगे।

कई का राजनीतिक कैरियर बर्बाद हो जाएगा।

फिर क्या था !

सी.बी.आई.ने उन तीनों डाक्टरों को गवाह बना दिया।

यदि उन डाक्टरों को तब आरोपी बनाया गया होता  तो मुम्बई के उन पांच डाक्टरों को यह हिम्मत नहीं होती कि सुशांत का गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करता। 

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--सुरेंद्र किशोर--8 सितंबर 20




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