जब जनता साथ है तो मीडिया
को भ्रष्ट नेताओं की चिंता क्यों ?
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कई साल पहले की बात है।
एक संपादक चिंतित थे।
उन्होंने मुझसे कहा कि
हमारे अखबार की छवि सरकार समर्थक बन गई है।
यदि अगले चुनाव में यह सरकार हार गई तो हमारा
प्रबंधन मुझ पर नाराज होगा।
क्योंकि अगली सरकार हमें परेशान करेगी।
मैंने उनसे एक सवाल किया।
‘‘आपके अखबार का प्रसार बढ़ रहा है या घट रहा है ?’’
उन्होंने कहा कि वह तो बहुत बढ़ रहा है।
मैंने कहा कि फिर आप चिंतित न होइए।
आप जनता के साथ हैं।
अगली बार भी यही सरकार सत्ता में आएगी।
वही हुआ भी।
कभी ‘इनाडु’ के साथ भी यही हुआ था।
जब वह अखबार कांग्रेस के खिलाफ अभियानरत ‘‘तेलुगु विड्डा’’ एन.टी.रामाराव का समर्थन कर रहा था और उसका सर्कुलेशन भी तेजी से बढ़ता जा रहा था।
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अब सवाल है कि ‘रिपब्लिक’ चैनल का टी.आर.पी.हाल के हफ्तों में महाराष्ट्र में कितना बढ़ा है ?
इस सवाल के जवाब के साथ शिवसेना का भावी चुनावी उत्थान या पतन जुड़ा हुआ है।
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-- सुरेंद्र किशोर -- 12 सिंतबर 20
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