गुरुवार, 3 सितंबर 2020

 ‘धर्मयुग’ में प्रकाशित मेरी यह पहली रपट 

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मुजफ्फरपुर चुनाव क्षेत्र

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जिसने एक बंदी को विजयी बनाया

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    शायद दुनिया के संसदीय चुनावों के इतिहास में यह पहली घटना होगी,जबकि राजद्रोह के इतने संगीन मुकदमे के मुजरिम ने जेल से ही चुनाव लड़ा हो और उसे मतदाताओं ने इतने भारी मतों से विजयी बनाया हो।

   पर, बड़ौदा डायनामाइट मुकदमे के मुजरिम श्री जार्ज फर्नांडीस पर लगाए गए आरोपों पर मतदाताओं ने न सिर्फ कोई ध्यान नहीं दिया,बल्कि उसे उसका विशेष अलंकरण ही माना।

   चुनाव के समय मुजफ्फरपुर की जनता में जार्ज फर्नांडीस के लिए उस उत्साह को जिसने भी देखा ,किसी को भी उनकी जीत के संबंध में कोई शंका नहीं थी।

    चुनाव के दस दिन पूर्व ( छह मार्च को ) ही श्री फर्नांडीस के चुनाव अभिकत्र्ता श्री शारदा मल ने मुझे बताया कि प्रश्न यह नहीं है कि यहां जनता पार्टी जीतती है या नहीं,बल्कि यह है कि प्रतिस्पर्धी उम्मीदवार अपनी जमानत भी बचा पाते हैं या नहीं ?

  और सचमुच वे अपनी जमानत नहीं बचा पाये।

श्री फर्नांडीस के सभी प्रतिद्वंद्वियों की जमानतें जब्त हो गईं।

    मतदाताओं का रुख देख कर तो चुनाव के दिन सुबह दस बजे ही कांग्रेसी उम्मीदवार और राज्य के पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री श्री नीतीश्वर प्रसाद सिंह सोने चले गये।

   बाद में उन्होंने यह शिकायत की कि सभी पीठासीन और निर्वाचन पदाधिकारी जनता पार्टी से मिल गये हैं।

    पर, उनके इस आरोप पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।

 न जनता ने ,न ही निरीक्षण में गये चुनाव अधिकारी ने।

    पर इस क्षेत्र के चुनाव का मुख्य मुद्दा यह नहीं था कि कांग्रेस हारे या जनता,बल्कि जनता पार्टी द्वारा इस चुनाव के माध्यम से एक बड़े अपराध के आरोप में फंसे एक अतर्राष्ट्रीय ख्याति के नेता और उसके ‘कारनामों’ को ‘लिगिटिमेसी’ दिलाना था।

    क्योंकि श्री फर्नांडीस को मिले छात्रों -युवजनों के अपार स्नेह का यह कारण नहीं था कि उन्होंने रेल हड़ताल करायी और वे एक अच्छे वक्ता हैं,बल्कि इसलिए कि उन्होंने आपातकाल की ‘लंबी काली रात’ के समक्ष समर्पण नहीं किया।

   उनके चुनाव अभियान में जनता पक्ष और छात्र संघर्ष समिति के युवा कार्यकत्र्ता और विद्यार्थी अपने खर्चे से घर -घर जा कर जार्ज का संदेश पहुंचाते रहे।

  श्री जयप्रकाश नारायण ने चुनाव के तीन दिन पूर्व पटना की एक आम सभा में कहा था कि ‘‘श्री फर्नांडीस देश के युवजनों के नेता हैं और आज सींखचों के भीतर कैद हैं।

मैं मुजफ्फरपुर की जनता से अपील करता हूं कि वे उन्हें भारी मतों से विजयी बनायें।’’

  और,सचमुच मुजफ्फरपुर के उस चुनाव में किसी भी अन्य क्षेत्र से अधिक छात्र-युवजन कार्यरत थे।

 अंततः जयप्रकाश नारायण की शुभकामनाएं फलित हुईं।

    जनता पक्ष की न्यायाग्रही नयी सरकार ने अब यह मुकदमा उठा लिया है और आज जार्ज फर्नांडीस जनता सरकार के संचार मंत्री हैं।

अब उन्हें यह सिद्ध करना है कि उनकी रचनात्मक प्रतिभा गरीब जनता के जीवन निर्माण में भी कारगर हो सकती है।

   28 मार्च को उन्होंने शपथ ग्रहण करने के पहले अत्याचार 

के शिकार अपने भाई और अपनी वृद्धा माता का अभिवादन किया।जार्ज को अनेकानेक बधाइयां !

 --सुरेंद्र किशोर

धर्मयुग-साप्ताहिक,बंबई

10 अप्रैल, 1977  

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