क्या मुम्बई में ड्रग्स की बिक्री से आए पैसे
आतंकियों के पास भी जाते रहे हैं ? !!
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1993 में केंद्र सरकार को समर्पित एन.एन. वोहरा
समिति की रपट का एक अंश निम्न प्रकार है--
‘‘...........बम्बई सिटी पुलिस तथा बम्बई के अपराध जगत के बीच सांठ-गांठ के बारे में सी.बी.आई. ने सन 1986 में एक रिपोर्ट तैयार की थी।
सी.बी.आई. द्वारा नए सिरे से अध्ययन कराया जाना उपयोगी होगा ।
क्योंकि इसके आधार पर उपयुक्त प्रशासनिक /कानूनी उपाय किये जा सकते हैं।
एक संगठित अपराधी सिंडिकेट /माफिया आम तौर पर
स्थानीय स्तर पर छोटे -छोटे अपराध करके अपनी गतिविधियां शुरू करता है ।
बड़े शहरों में यह अपराध मुख्यतः अवैध रूप से शराब बनाने/जुआ खेलने ,संगठित रूप से सट्टा चलाने तथा वेश्यावृति से संबंधित होते हैं।
जिन शहरों में बंदरगाह हैं,वे वहां पहले तस्करी करते हैं और आयायित सामनों को बेचते हैं।
बाद में धीरे -धीरे मादक पदार्थों और नशीली दवाओं के व्यापार में संलिप्त हो जाते हैं।
बड़े शहरों में इन तत्वों की आय का प्रमुख साधन भू -सम्पदा आदि है जब ये भूमि/भवनों पर कब्जा कर लेते हैं।
ऐसी सम्पतियों के वत्र्तमान स्वामियों /किराएदारों इत्यादि को जबरन हटाकर वे इन सम्पतियों को सस्ते दर पर प्राप्त कर लेते हैं।
इस प्रकार अर्जित धन शक्ति का इस्तेमाल नौकरशाहों तथा राजनेताओं के साथ संपर्क बनाने के लिए किया जाता है
ताकि बेरोकटोक अपनी गतिविधियां चालू रख सकें।
इस धन शक्ति का इस्तेमाल लठैतों का नेटवर्क विकसित करने के लिए किया जाता है जिसका इस्तेमाल राजनीतिज्ञों द्वारा भी चुनावों के दौरान किया जाता है।
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अब आप 6 सितंबर, 2020 के दैनिक ‘आज’ की एक खबर का एक छोटा अंश पढिए।
‘‘--रिया चक्रवर्ती के व्हाॅट्सएप चैट से इस बात का खुलासा होता है कि उन्होंने वर्जित उत्पाद को खरीदा है,बेचा ह,ै इस्तेमाल किया है जो नार्कोटिक ड्रग्स और साइकोट्रापिक सब्सटेंसेज एक्ट, 1985 के दायरे में आता है।’’
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अब इसमें दो सवाल हैं
1.-इस बीच तथाकथित स्टाॅकलैंड यार्ड नामधारी (महाराष्ट्र के सत्ताधारियों द्वारा दी गई उपाधि के अनुसार) मुम्बई पुलिस क्या करती रही ? !!
2.-यदि मंहगे ड्रग्स की खरीद-बिक्री जारी रही तो क्या उससे प्राप्त पैसों में से कुछ इस देश में सक्रिय जेहादी आतंकवादियों के पास भी जा रहे थे ?
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सुरेंद्र किशोर--6 सितंबर 20
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