कानोंकान
सुरेंद्र किशोर
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संसद-विधान सभाओं में हंगामा रोकने की पहल करे भाजपा
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बिहार विधान सभा के अध्यक्ष ने भाजपा के चार विधायकों को निष्कासन की चेतावनी दी है।
उधर राज्य सभा के सभापति ने उन 12 सदस्यों के मामलों को
विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया है ।इन पर सदन में अशालीन व्यवहार के आरोप हंै।
देश के हर सदन के पीठासीन पदाधिकारी लगातार हो रहे हंगामों से परेशान होते रहे हंै।
अब सवाल यह है कि इस स्थिति को कैसे समाप्त किया जाए ?
लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा वापस लाने के लिए क्या किया जाए ?
एक उपाय संभव है।केंद्र के सत्ताधारी दल खुद पहल करे।
भाजपा अनुशासित दल है।
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यह तय करे कि हमारे सदस्य सदन में उदंड और अशालीन व्यवहार कत्तई न करें।इसको लेकर भाजपा अपनी पार्टी के संासदों-विधायकों के लिए कठोर आचार संहिता बनाए।
यदि भाजपा संसद से लेकर विधान सभाओं और नगर निकायों तक गरिमापूर्ण व्यवहार करने लगेगी तो उसका असर दूसरों पर भी पड़ेगा।
उससे आम जनता खुश होगी।साथ ही,स्वस्थ लोकतंत्र के लिए वह अच्छा होगा।
उससे भाजपा के वोट बढ़ सकते हैं।जो दल सदनों में हंगामा फिर भी जारी रखेंगे,उनके प्रति आम लोगों में रोष बढ़ेगा
यह नहीं चलेगा कि संसद में तो प्रतिपक्षी दलों के बीच के उदंड सदस्यों पर कार्रवाई हो और विधान सभाओं के भाजपा विधायक सदन को अव्यवस्थित करते रहें।
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कुछ अच्छी खबरें
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बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार के उपाध्यक्ष उदयकांत मिश्र के अनुसार बिहार के विश्व विद्यालयों में ‘आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रम’ शुरू किया जाएगा।
अगले सत्र से ही इसे पढ़ाने की शुरूआत हो जाएगी।
उधर आस्ट्रेलिया के दो विश्व विद्यालय भारत में अपने ‘परिसर’ स्थापित करेंगे।
उससे शिक्षा-परीक्षा में गुणवत्ता बढे़गी।
मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा है कि जो छात्र सरकारी स्कूलों से पास होंगे,उनके लिए मेडिकल काॅलेजों में सीटें आरक्षित की जाएंगीं।
इससे मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों
के उम्मीदवारों को मेडिकल काॅलेजों में पहले की अपेक्षा अधिक सीटें मिल सकेंगंी।़
बिहार सरकार ने राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में प्राथमिक चिकित्सा सामग्री उपलब्ध कराने का निर्णय किया है।
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अवसर का इंतजार
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केंद्र की भाजपा सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
कई गैर भाजपा दलों के अनेक नेताओं का यही आरोप है ।
वे कह रहे हैं कि केंद्र सरकार हमारे नेताओं के खिलाफ बदले की भावना से काम कर रही है।
उसे तो जो ठीक लग रहा है, केंद्र सरकार वह काम कर रही हैं।पर कांग्रेस जब 2004 से 2014 तक केंद्र की सत्ता में थी तो वह क्या कर रही थी ?
28 सितंबर, 2004 को यह खबर आई थी कि मनमोहन सिंह सरकार पिछली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के सभी घोटालों की जांच करेगी।
क्या उसने अपना यह वादा पूरा किया ?
नहीं किया।
पर,भाजपा ने जांच का जो वादा सत्ता में आने से पहले जनता से किया था,वह उसे पूरा कर रही है।
अगली बार यदि कांग्रेस आदि को मौका मिलेगा तो उनसे भी यह उम्मीद की जाती है कि वे अपना वादा पूरा करेंगे।उस दिन का इंतजार कीजिए।
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.भूली-बिसरी यादें
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संवाददाता शैलेन चटर्जी ने रोते-रोते महात्मा गांधी की हत्या की खबर की रिपोर्टिंग की थी।
न्यूज एजेंसी यू.पी.आई.के संवाददाता शैलेन बिड़ला भवन में ही रहते थे जहां महात्मा गांधी थे।
चटर्जी के अनुसार, एक दिन महात्मा गांधी ने मुझसे पूछा,‘‘आप यू.पी.आई.के रिपोर्टर हो।आपकी एजंेसी ने राष्ट्रवाद और कांग्रेस के लिए बहुत कुछ किया है।
आप मुझसे दूर क्यों रहते हैं ?’’
मैंने उत्तर दिया, ‘‘आप सुबह -शाम लोगों से मिलते हैं।
तरह -तरह की बातें करते हैं।उनमें कुछ बातें गोपनीय भी होती हैं।
अगर मैं उन सभी बैठकों में उपस्थित रहूं तो हो सकता है कि आपको अच्छा न लगे।’’
गांधी जी ने कहा ,‘‘मेरा विश्वास प्राप्त करो।
हां,अगर कुछ छपने के लिए देना हो तो मुझसे पूछ लिया करो।’’
गांधी जी के इस विश्वास को शैलेन ने कभी नहीं तोड़ा।
समय बीतने के साथ इस देश में पत्रकारिता के क्षेत्र में विश्वास तोड़ने की कुछ बड़ी घटनाएं भी हुईं।
अस्सी के दशक में एक दैनिक अखबार के संपादक बंगलौर में मुख्य मंत्री गुंडू राव से भोजन पर मिले।लंबी बातचीत हुई।
उस अखबार के प्रधान संपादक ने अपने अखबार में वह बातचीत नहीं छापी।
उन्होंने उसे एक साप्ताहिक पत्रिका में छपवा दी।
गुंडू राव ने उनसे पूछा,आपने विश्वासघात क्यों नहीं ?
संपादक का जवाब था,‘‘आपको याद रखना चाहिए था कि आप एक संपादक से बातचीत कर रहे थे।अपने रिश्तेदार से नहीं।’’
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और अंत में
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झारखंड की आई.ए.एस.अफसर पूजा सिंघल और चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम पर नाजायज तरीकों से करोड़ों रुपए अर्जित करने के आरोप हैं। पूजा सिंघल का मामला हो या वीरेंद्र राम का।अपने से ऊपर और नीचे के सरकारी सेवकों की सक्रिय मदद के बिना ये अफसर इतना बड़ा गोरखधंधा नहीं कर पाते।
सिर्फ पूजा और वीरेंद्र पर कानूनी कार्रवाई करने का मतलब है भ्रष्टाचार के वटवृक्ष की सिर्फ टहनियां काटना।
इनके साथ ही, जड़ों पर चोट करने के लिए समुचित कानून बने तो फिर बात बने।
कार्रवाइयां उन पर भी हों जहां से पूजा और रवीेंद्र को ताकत,बढ़ावा और संरक्षण मिलते रहे।
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