अंतर्राष्ट्रीय एजेंडा के तहत
श्रीरामचरित मानस का विरोध ?
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सुरेंद्र किशोर
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उत्तर प्रदेश के सपा नेता व पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थकों
ने पिछले दिनों राम चरित मानस के कुछ पन्नों को सार्वजनिक रूप
से जलाया।
स्वामी ने जलाने को उचित बताया।
ऐसा करके उन्होंने समाज में तनाव फैलाया।
उससे पहले इस मुद्दे पर समाज में कोई तनाव नहीं था।
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आरोप लगाया जा रहा है कि एक ही धर्म के ग्रंथ के पन्ने जलाने का
काम एक खास इंटरनेशनल एजेंडा के तहत किया गया।
वह एजेंडा यह है कि हिन्दुओं में विभाजन करो और अन्य धर्म में एकता मजबूत करो।
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इस एजेंडा को मूर्त रूप वे लोग दे रहे हैं जोे वोट बैंक के लाभुक या लोभी हैं।
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इस पृष्ठभूमि में मासिक पत्रिका ‘भारत वार्ता’ का विशेषांक आया है।
श्रीरामचरितमानस का अन्तर्राष्ट्रीय विमर्श विशेषांक इस विषय पर जानकारियों से भरा हुआ है।
पूरी पत्रिका एक ही विषय को समर्पित है।
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जो लोग समाज को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं,वे न तो
लोहियावादी हैं और न ही गांधीवादी।
यहां तक कि वे मुलायमवादी भी नहीं हैं।
मुलायम सिंह यादव ने कभी राम चरित मानस पर कोई सवाल उठाया हो,यह मुझे नहीं मालूम।
जिस लोहिया का शिष्य होने का दावा मुलायम करते थे,वे यानी लोहिया जी ‘रामायण मेला’ लगवाते थे।
गांधी जी तो ‘राम राज्य’ चाहते थे।
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सुरेंद्र किशोर
13 मार्च 23
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