दिवंगत अभय छजलानी की याद में
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सुरेंद्र किशोर
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दैनिक नईदुनिया (इंदौर)के पूर्व संपादक-सह-पूर्व मालिक
अभय छजलानी का कल निधन हो गया।
वे 89 वर्ष के थे।
(‘नईदुनिया’ का मालिकत्व अब दैनिक जागरण समूह के पास है।)
नईदुनिया के लिए मैं कभी बिहार से लिखता था।
जब राहुल बारपुते और राजेंद्र माथुर नईदुनिया के संपादक थे तो देश के एक शीर्ष साहित्यकार ने इन्दौर से लौट कर कहा था कि कि देश का सबसे बढ़िया हिन्दी अखबार इन्दौर से निकलता है।
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अखबार का मालिक होते हुए भी अभय छजलानी ने पत्रकारिता के विश्व विख्यात संस्थान थाम्सन फाउंडेशन, कार्डिफ से स्नातक की उपाधि ली थी।
राजगीर जाने के रास्ते में अभय छजलानी जी एक बार पटना आए थे।
मैं उन दिनों जनसत्ता में काम करता था।
वे मुझे होटल में बुलाने के बदले मुझसे मिलने पटना स्थित इंडियन एक्सप्रेस-जनसत्ता आॅफिस आए।
उन्होंने अपने अखबार की कार्य संस्कृति और कार्य शैली बताई थी।
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याद रहे कि अभय जी ने अपने अखबार के संपादकीय,विज्ञापन और प्रसार शाखाओं में बारी -बारी से प्रशिक्षु कर्मचारी की तरह काम करके काम सीखा था।
काम सीखते समय वे शाखा प्रधानों को यह अहसास नहीं होने देते थे कि वे अखबार के मालिक बाबू लाभचंद छजलानी के पुत्र हैं।
जाहिर है कि ऐसे काबिल और शालीन व्यक्ति के निधन की खबर से मुझे दुख हुआ।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और उनके परिजन को दुख सहने की शक्ति दें।
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24 मार्च 23
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पुनश्चः-
काश ! जिस तरह बाबू लाभचंद छजलानी ने अपने पुत्र अभय को उनके काम में पारंगत बनाया,आज के राजनीतिक दलों के सुप्रीमो भी अपनी संतान को उसी तरह प्रशिक्षित करके ही राजनीति में उतारते।
उससे उनका,उनके दल का तथा देश -प्रदेश का अधिक भला होता।
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