पैसे की भूख ने भ्रष्टाचार को कैंसर
की तरह पनपने में मदद की है।
---सुप्रीम कोर्ट
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इस कैंसर को खत्म करने का एक बड़ा
उपाय खुद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निकलेगा
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सुरेंद्र किशोर
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पैसे की भूख ने भ्रष्टाचार को कैंसर
की तरह पनपने में मदद की है।
अदालत ने यह भी कहा कि संविधान के तहत स्थापित अदालतों
का देश के लोगों के प्रति कर्तव्य है कि वे दिखाएं कि भ्रष्टाचार
को कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जस्टिस एस.रवीन्द्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने
यह बात कही है।
अदालत ने यह भी कहा है कि भ्रष्टाचार प्रगति में बाधक है।
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अदालत ने बहुत अच्छी बात कही है।
पर भ्रष्टाचार के कारण एक अन्य बुराई की ओर संभवतः
अदालत का ध्यान नहीं है।वह यह है कि भ्रष्टाचार के
कारण भी इस देश में राष्ट्र विरोधी शक्तियां दिन प्रति दिन
मजबूत होती जा रही हैं।
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इस कैंसर सदृश्य भ्रष्टाचार को कम करने,रोकने या फिर खत्म
करने में हमारी सबसे बड़ी अदालत बड़ी भूमिका निभा सकती है।
1.-सुप्रीम कोर्ट अपने 22 मई 2010 के फैसले पर पुनर्विचार करे।
साथ ही, उसे बदल दे।
उस फैसले में कहा गया है कि आरोपी की सहमति के बिना
किसी पर नार्को,पाॅलि ग्राफिक और ब्रेन मैपिंग टेस्ट नहीं हो सकता।
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2.-साथ ही, सुप्रीम कोर्ट यह भी निर्णय करे कि ऐसे टेस्ट के नतीजे अदालतों में मान्य होंगे।
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यदि सचमुच सुप्रीम कोर्ट भ्रष्टाचार को कैंसर मानता है तो वह ये
दो काम करके देखे।
काफी फर्क पड़ेगा।
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4 मार्च 23
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