बुधवार, 1 मार्च 2023

 


कर्पूरी ठाकुर की याद में 

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सुरेंद्र किशोर

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यह 1972-73 की बात है। 

तब कर्पूरी ठाकुर सत्ता में नहीं थे।

फिर भी राज्य के नौजवान उनके पास नौकरी के लिए आते थे।

उन प्रत्याशियों से अक्सर कर्पूरी जी एक बात कहते थे।

मैं आपको नौकरी दिलवाने की गारंटी देता हूं।

पर, मेरी एक शत्र्त हैं।

आप शाॅर्टहैंड और टाइपिंग में पारंगत होकर आ जाइए।

वे कह कर तो जाते थे कि ‘‘जरूर सीख लूंगा।’’

पर, कोई लौटकर नहीं आता था।

क्योंकि उसे सीखने में मेहनत लगती है।

 अनेक मामलों में आज भी यही स्थिति है।

कौशल विकास में रूचि बहुत कम है।

पर, नौकरी चाहिए।

(आज टी.वी.,फ्रीज,मोबाइल,सी.सी.टी.वी.कैमरा आदि मरम्मत करने वालों की कमी है।)

  हर जगह शुद्ध-शुद्ध हिन्दी और अंग्रेजी लिखने वालों की भी कमी होती जा रही है।

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17 फरवरी 23 

  


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