काश ! अटल बिहारी वाजपेयी अपने शासन काल में भ्रष्टों और
देशद्रोहियों के खिलाफ उतने ही कठोर होते जितने आज नरेंद्र मोदी हैं !
फिर तो इस देश को बीच में ‘‘दस-साला दुःस्वप्न’’ नहीं झेलना पड़ता
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सुरेंद्र किशोर
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बिहार के वरीय नेता और राज्य सभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है कि यदि वाजपेयी जी को लोक सभा में बहुमत मिला होता तो वे धारा-370 को समाप्त करने की कोशिश जरूर करते।
इतनी तक बात तो सही है।
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पर,सवाल है कि हर दिल अजीज वाजपेयी जी ने बहुमत पाने के लिए कौन सा चैंकाने वाला काम यानी ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक’’ किया ?
कई वैसे मौके तब भी आए थे।
उन्होंने न तो गठबंधन के दलों को अपने साथ बनाए रखा और न ही भ्रष्टाचारियों और राष्ट्रद्रोहियों के खिलाफ कठोर कदम उठाया।
‘‘फस्र्ट फेमिली’’ के प्रति उनकी सदाशयता ने रही-सही कसर पूरी कर दी थी।
वाजपेयीजी की शालीनता के लिए उनकी विभिन्न तबकों में बेहद सम्मान का भाव है।
इसलिए उनकी हिमालय जैसी गलतियों को अभी नहीं दुहराऊंगा।
दरअसल वे जवाहरलाल नेहरू की तरह ‘‘बहुजन हिताय,सर्वजन सुखाय’’ की नीति पर चलते थे।
यह नीति न तो सरदार पटेल की थी और न ही नरेंद्र मोदी की।
मोदी के वोट और सीटें 2014 की अपेक्षा 2019 में इसीलिए बढ़ गए।
आगे का भी मोदी का भविष्य मुझे कोई खास गड़बड़ नहीं लग रहा है।
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खुद सुशील कुमार मोदी को मैं अपराधियांे,भ्रष्टांें और राष्ट्रदोहियों के खिलाफ अपेक्षाकृत अधिक कठोर मानता हूं।
नब्बे के दशक में उन्हें अपनी जान हथेली पर लेकर वैसे तत्वों से लड़ते देखा है।
पर, पता नहीं, सुशील मोदी को कोई बड़ी जिम्मेदारी क्यों नहीं मिल रही है ?
क्या नरेंद्र मोदी यह समझते हैं कि एक से अधिक मोदी के सत्तासीन होने से उन पर जातिवाद का आरोप लग जाएगा ?
मैं नहीं जानता कि कारण क्या है ?
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दरअसल मोदी बिहार में एक ‘‘न्यूट्रल जाति मानी जाती है।
मोदी के खिलाफ न तो किसी जाति में सख्त विरोध है और न ही विशेष लगाव।
बड़ी जिम्मेदारी देने पर सुशील मोदी पर यह निर्भर करेगा कि वे कैसी भूमिका निभाते हैं।
अटल की तरह या नरेंद्र मोदी की तरह।
उसी पर इस समस्याग्रस्त देश-प्रदेश की जनता और खुद सुशील मोदी का भविष्य
निर्भर करेगा।
यह पोस्ट लिखने के लिए सुशील मोदी के राजनीतिक विरोधी
मुझे माफ करंेगे।
अधिकतर लोग यह जानते हैं कि किसी के कहने पर किसी के पक्ष में या विरोध में लेखन करने वाला व्यक्ति मैं नहीं हूं।
जो महसूस करता हूं,वह लिख देता हूं।‘इंडियन एक्सप्रेस’ जैसे बड़े अखबार में एक बिहारी यानी मोदी जी का यह इंटरव्यू देखा तो यह लिखने की इच्छा हुई।
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14 मार्च 23
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