आॅल दैट ग्लिटर्स इज नाॅट गोल्ड
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ऐसा नहीं कि जिस अखबार का नाम
‘न्यूयार्क टाइम्स’ है,वह गलत खबर
नहीं दे सकता !!
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--सुरेंद्र किशोर--
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भारत सरकार ने ‘‘न्यूयार्क टाइम्स’’ में छपी उस रपट को निराधार व गलत बताया है जिसमें यह कहा गया है कि
भारत में कोविड-19 से 42 लाख लोग मरे हंै।
जबकि, भारत सरकार के अनुसार मृतकांे की संख्या करीब 3 लाख है।
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भारत के कुछ लोगों की यह धारणा है कि अमेरिका या इंगलैंड के अखबार ने लिखा है तो ठीक ही लिखा होगा।
यह धारणा सही नहीं है।
जिस तरह भारत की मीडिया से गलती हो सकती है,उसी तरह विदेश की मीडिया से भी।
हां, मीडिया का एक हिस्सा खास उद्देश्य से जानबूझकर भी गलती करता है--यहां भी और वहां भी।
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मैं सन 1964 की एक कहानी का यहां जिक्र कर रहा हूं।
वह एक ऐसा जमाना था जब राजनीति व पत्रकारिता में गैर -जिम्मेदार लोगों की आज जितनी संख्या नहीं थी।
हालांकि आज भी जिम्मेदार लोग कम नहीं हैं।
इसके बावजूद प्रतिष्ठित अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका ‘टाइम’ ने डा.राममनोहर लोहिया के खिलाफ एक गलत व बिलकुल ही निराधार खबर छाप दी।
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उस गलत खबर से खिन्न डा.लोहिया
ने ‘टाइम’ पर मानहानि का मुकदमा
दायर किया था।
उन्होंने दस पैसे के हर्जाने की मांग की थी।
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याद रहे कि फूल पुर लोक सभा उप चुनाव के संबंध में ‘टाइम’ ने निराधार खबर छापी थी।
‘टाइम’ ने अन्य बातों के अलावा यह भी लिख दिया था
कि ‘ डा.लोहिया नेहरू परिवार के आजीवन शत्रु हैं।’
भारत की राजनीति के बारे में ‘टाइम’ की छिछली जानकारी का ही यह नतीजा था।
दरअसल समाजवादी नेता डा.लोहिया, जवाहरलाल नेहरू की नीतियों का विरोध करते थे न कि वे उनके आजीवन शत्रु थे।
एक बार डा.लोहिया ने अपने मित्रों से कहा था कि
‘‘यदि मैं बीमार पड़ूंगा तो मेरी सबसे अच्छी सेवा- शुश्रूषा जवाहरलाल नेहरू के घर में ही होगी।’’
एक बार डा.लोहिया जब दिल्ली जेल में थे,प्रधान मंत्री नेहरू ने उनके लिए आम भिजवाया था।
इसको लेकर गृह मंत्री सरदार पटेल प्रधान मंत्री से नाराज हुए थे।
1964 में नेहरू के निधन के बाद डा.लोहिया ने कहा था,‘ ‘1947 से पहले के नेहरू को मेरा सलाम !’
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पर छिछली रिपोर्टिंग करने वाली पत्रिका को इन तथ्यों से क्या मतलब !
खैर ‘आजीवन शत्रु’ वाली बात डा.लोहिया को अधिक बुरी लगी थी।
दरअसल नेहरू के निधन के बाद फूल पुर में उप चुनाव हुआ।
डा.लोहिया कांग्रेस की उम्मीदवार विजयलक्ष्मी पंडित के खिलाफ चुनाव -प्रचार में गए थे।
टाइम के 4 दिसंबर, 1964 के अंक में लिखा गया कि
‘डा.लोहिया नेहरू परिवार के आजीवन शत्रु हैं।
इस कारण वे उप चुनाव में विजयलक्ष्मी पंडित के विरूद्व प्रचार करने गए थे।
इस बात को नजरअंदाज करते हुए कि 1962 में खुद लोहिया,नेहरू के खिलाफ वहां चुनाव लड़ चुके थे, पत्रिका ने यह भी लिख दिया कि
‘लोहिया ने मतदाताओं से कहा कि विजयलक्ष्मी पंडित की सुन्दरता के जाल में न फंसें।
उनके अंदर केवल विष है।’
‘टाइम’ के अनुसार डा.लोहिया ने मतदाताओं से कहा कि श्रीमती पंडित की युवावस्था जैसी सुन्दरता इसलिए कायम है क्योंकि उन्होंने यूरोप में प्लास्टिक शल्य चिकित्सा करायी है।
डा.लोहिया ने दिल्ली के सीनियर सब जज की अदालत में टाइम के संपादक,मुद्रक,प्रकाशक और नई दिल्ली स्थित संवाददाताओं के विरूद्व मानहानि का मुकदमा किया।
अदालत में प्रस्तुत अपने आवेदन पत्र में डा.लोहिया ने कहा कि टाइम में प्रकाशित उक्त सारी बातेें बिलकुल मनगढंत हैं और मुझे बदनाम करने के इरादे से इस तरह की कुरूचिपूर्ण बातें मुझ पर आरोपित की गई हंै।
डा.लोहिया ने कहा कि टाइम ऐसे दकियानूसी कट्टरपंथी तत्वों का मुखपत्र है, जिन्हें हमारी समतावादी और लोकतांत्रिक नीतियां पसंद नहीं हैं।
नई दिल्ली स्थित संवाददाताओं ने, जो उक्त समाचार भेजने के लिए जिम्मेदार हैं, मुझसे कभी भंेट तक नहीं की।
ये संवाददाता स्थानीय भाषा भी नहीं जानते।
इसलिए मेरे भाषण की उन्हें सीधी जानकारी भी नहीं हो सकती थी।
शत्रुता का आरोप का खंडन करते हुए डा.लोहिया ने कहा कि
कांग्रेसी शासन अथवा दिवंगत प्रधान मंत्री की जब भी मैंने आलोचना की है तो नीति और सिद्धांत के प्रश्नों पर ही।
किसी निजी द्वेष पर नहीं।
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उस मुकदमे का अंततः क्या हश्र हुआ ,मैं जान नहीं सका।
पर इस खबर की आज इसलिए चर्चा कर रहा हूं क्योंकि कोई यह न समझे कि चूंकि उस अखबार का नाम न्यूयार्क टाइम्स है, इसलिए वह गलत खबर नहीं दे सकता।
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