भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के बारे में कुछ बातें
जो आज अत्यंत प्रासंंिगक
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सुरेंद्र किशोर
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सन 1970 में मुख्य मंत्री रह चुके कर्पूरी ठाकुर सन 1972-73 में रिक्शे पर ही चलते थे।क्योंकि उनके पास निजी कार नहीं थी।
एक बार मैं कर्पूरी जी के साथ रिक्शे पर पटना में एक जगह से दूसरी जगह जा रहा था।
कर्पूरी जी ने कहा कि ‘‘सुरेंद्र जी,यदि मेरे पास तेज सवारी होती तो मैं लोगों का अधिक काम कर पाता।’’
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2
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पटना के सालिमपुर अहरा स्थित पार्टी आॅफिस में तीन व्यक्ति आसपास बैठे थे।
अस्सी के दशक की बात है।
पीलू मोदी,कर्पूरी ठाकुर और मैं।
भारी शरीर के मोदी जी एक आराम कुर्सी पर पसरे हुए थे।
बगल की कुर्सी पर बैठे कर्पूरी जी ने पीलू जी मोदी से कहा,‘‘मोदी साहब,यदि राज्य पार्टी के लिए एक हेलीकाॅप्टर का प्रबंध हो जाये तो हम बिहार विधान सभा की आधी सीटें जीत जाएंगे।’’
हंसोड़ मोदी ने जवाब दिया,
‘‘मिस्टर कर्पूरी,मैं दो का कर देता हूं।सारी सीटें जीत जाओ।अरे भाई हेलीकाॅप्टर से चुनाव नहीं जीते जाते।’’
खैर, कहने का मतलब यह कि अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कर्पूरी जी चुनाव प्रचार के लिए अपने लिए हेलीकाॅप्टर को तरस गये।वे चाहते तो नाजयज पैसे जुटाकर यह काम कर सकते थे।पर,नहीं किया।
दूसरी ओर, आज की राजनीति का क्या हाल है ?
देश अब भी गरीब ही है।
पर,अब तो अधिकतर नेताओं के लिए चार्टर्ड प्लेन का जमाना आ गया है।अधिकतर नेता जहाज भाडे़ पर लेकर राजनीतिक व निजी यात्राएं कर रहे हैं।
इन्हें पैसे कौन देते है ?
जग जाहिर है।
क्योंकि आम जनता में से 80 करोड़ लोगों को तो अब भी सरकार मुफ्त राशन दे रही है।देने को मजबूर है।
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बिहार के निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के रिटायर निबंधक उमेश प्रसाद सिंह के अनुसार ,
‘‘1977-79 के मुख्य मंत्री कर्पूरी ठाकुर ने अपने कार्यकाल में सी.बी.आई.को लिखा था कि सी.बी.आई.को बिहार सीमा में कोई भी गंभीर मामले की जानकारी मिले तो वह गोपनीय ढंग से उसकी जांच शुरू कर दे।उसमें राज्य सरकार की अनुमति आवश्यक नहीं होगी।
उमेश जी के अनुसार यह आदेश सन 1996 के आरंभ तक प्रभावी रहा।
पर, जब चारा घोटाले की जांच के लिए जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दाखिल की गयी तो बिहार सरकार ने उस आदेश को निरस्त कर दिया।
राज्य सरकार नहीं चाहती थी कि सी.बी.आई. खुद जांच अपने हाथ में ले ले।’’
दूसरी ओर, हाल के वर्षों में अनेक राज्य सरकारों ने सी.बी.आई. जांच करने की आम मनाही कर दी।
कारण सब जानते हैं।अब सी.बी.आई.जांच आम तौर पर अदालती आदेश से ही संभव हो पाती है।
जब केंद्रीय एजेंसियां जांच के बाद नेताओं व अफसरों के घरों से करोड़ों-करोड़ रुपए जब्त करती है तो आरोपी नेता आरोप लगाते हैं कि बदले की भावना से केंद्र सरकार काम कर रही है।
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अस्सी के दशक की बात है। डा.जगन्नाथ मिश्र बिहार के मुख्य मंत्री थे और कर्पूरी ठाकुर विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता।
डा.मिश्र पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही रहते थे।
एक बार जब कर्पूरी ठाकुर ने सदन में उनपर कोई आरोप लगाया तो मुख्य मंत्री ने कर्पूरी ठाकुर पर भी पलट कर आरोप लगा दिया।
उस पर कर्पूरी ठाकुर ने यह मांग कर दी कि आप मेरे खिलाफ आरोप की जांच के लिए न्यायिक जांच बैठाइए।
डा.मिश्र ने जांच आयोग बैठाने की मांग नहीं मानी।उस पर कर्पूरी ठाकुर ने मुख्य मंत्री से कहा कि आप मेरे खिलाफ जांच आयोग नहीं बैठा रहे हैं,उसका कारण है।
क्योंकि चाहते हैं कि जब हम सत्ता में आएं तो हम भी आपके खिलाफ जांच नहीं कराएं।किंतु आप गलतफहमी में मत रहिए।
हम सत्ता में आने के बाद आपके खिलाफ जांच जरूर कराएंगे।
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अब आप ऐसे मामलों में आज के नेताओं के वक्तव्यों और आचरण को देख लीजिए।
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31 मार्च 24
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