एक चुनाव यह भी !
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भ्रष्टाचारी और उनके मददगार
बनाम
भ्रष्टाचार विरोधी और उनके समर्थक
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सुरेंद्र किशोर
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लोक सभा चुनाव, 2024 की पूर्व संध्या पर
इस देश के अधिकतर मतदातागण भ्रष्टाचार के सवाल पर भी साफ-साफ दो खेमों में बंटे हुए हैं।हालांकि मुद्दे और भी हैं।
एक पक्ष कहता है कि भ्रष्टाचार मिट नहीं सकता।
दूसरा पक्ष इस बात से असहमत है।
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देखना है कि किसकी जीत होती है !!
पहले यह कहा जाता था कि भ्रष्टाचार के कारण इस देश में गरीबी कम करने में दिक्कत आ रही है।
अब यह भी कहा जा रहा है कि इस देश के सरकारी -गैर सरकारी भ्रष्टाचार के कारण देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर खतरा है।
बांग्लादेशियों और रोहिंग्या घुसपैठियों के लिए यहां रिश्वत देकर मतदाता बन जाना आसान हो गया है।भ्रष्टाचार के अन्य अनेक चिंताजनक कुपरिणाम सामने आ रहे हैं।
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‘‘चाहे यह भ्रष्टाचार का विरोध हो या भ्रष्ट के रूप में देखे जाने का भय,शायद भ्रष्टाचार अर्थ -व्यवस्था के पहियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण था, इसे काट दिया गया है।
मेरे कई व्यापारिक मित्र मुझे बताते हैं निर्णय लेेने की गति धीमी हो गई है।.............’’
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--नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी,
हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान टाइम्स
23 अक्तूबर 2019
(याद रहे कि अभिजीत बनर्जी की सलाह पर ही कांग्रेस ने ‘न्याय योजना’ का नारा उछाला है।)
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दूसरी ओर,
इस देश का सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि
‘‘भ्रष्ट लोग देश को तबाह कर रहे हैं।’’
---दैनिक जागरण -10 नवंबर 2022
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‘‘पैसे की भूख ने भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह पनपने में मदद की है।अदालतें दिखाएं कि भ्रष्टाचार को कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’’
---सुप्रीम कोर्ट--3 मार्च 23
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि
‘‘एक भी भ्रष्टाचारी नहीं बचना चाहिए, चाहे वह कितना
ही शक्तिशाली हो।
बिना हिचक के सी.बी.आई.कार्रवाई करे।’’
उन्होंने यह भी कहा कि
‘‘भ्रष्टाचार लोकतंत्र और न्याय की राह में सबसे बड़ी बाधा है।’’
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इस देश में भ्रष्टाचार की समस्या पुरानी है।जो समय के साथ बढ़ती
गई।
‘‘भ्रष्टाचार को लोकतंत्र की अपरिहार्य उपज नहीं बनने दिया जाना चाहिए’’--महात्मा गांधी
‘‘भ्रष्टाचारियों को नजदीक के लैंप पोस्ट से लटका दिया जाना चाहिए’’--जवाहरलाल नेहरू
‘‘भ्रष्टाचार तो विश्वव्यापी फेनोमेना है।’’
--प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी
‘‘सत्ता के दलालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।’’
--प्रधान मंत्री राजीव गांधी
‘‘मुल्क के शक्तिशाली लोग इस देश को बेचकर खा रहे हैं।’’
--मधु लिमये--(1988)
‘‘इस देश की पूरी व्यवस्था सड़ चुकी है।’’
--मनमोहन सिंह-(1998)
‘‘भगवान भी इस देश को नहीं बचा सकता।’’
--सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूत्र्ति बी.एन.अग्रवाल--5 अगस्त ,2006
‘‘भ्रष्ट लोगों से छुटकारा पाने का एकमात्र रास्ता यही है कि कुछ लोगों को लैंप पोस्ट से लटका दिया जाए।’’
--सुप्रीम कोर्ट-7 मार्च 2007
‘‘भ्रष्टाचार को साधारण अपराध के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।’’
-दिल्ली हाईकोर्ट --9 नवंबर 2007
‘‘भ्रष्टाचार में जोखिम कम और लाभ ज्यादा है।’’
-एन.सी.सक्सेना,पूर्व सचिव ,केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय
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मनी लाउंडरिंग का अपराध हत्या से भी अधिक जघन्य
--भारत का सुप्रीम कोर्ट
5 फरवरी 2022
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प्रधान मंत्री मोदी ने एक अवसर पर कहा कि
‘‘भ्रष्टाचार लोकतंत्र और न्याय की राह में सबसे बड़ी बाधा है।’’
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नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने से पहले
अत्यंत थोड़े से अपवादों को छोड़कर इस देश में
सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष में एक अघोषित समझौता रहा था--
‘‘हम सत्ता में आएंगे तो हम तुम्हें बचाएंगे,तुम सत्ता में आना तो हमें बचाना।’’
मनमोहन सिंह सरकार के गठन के प्रथम वर्ष में ही केंद्र सरकार ने कहा था कि ‘‘राजग शासन के सभी घोटालों की जांच होगी।’’
(दैनिक जागरण-29 सितंबर 2004)
’’(इस पोस्ट के साथ संलग्न है तत्संबंधी न्यूज आइटम की स्कैन काॅपी)
इस घोषणा के बावजूद जांच नहीं हुई।एक दूसरे को बचा लेने की नीति के तहत जांच नहीं हुई।
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बकौल प्रधान मंत्री राजीव गांधी -1985 आते -आते केंद्र सरकार के 100 पैसे घिसकर 15 पैसे ही रह गए।इस बात की जांच नहीं हुई कि 100 पैसे कैसे इतना घिस गये ?
कौन-कौन उसके लिए जिम्मेवार रहे।
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सन 1963 में ही तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष डी.संजीवैया को इन्दौर के अपने भाषण में यह कहना पड़ा कि
‘‘वे कांग्रेसी जो 1947 में भिखारी थे, वे आज करोड़पति बन बैठे।
गुस्से में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि ‘‘झोपड़ियों का स्थान शाही महलों ने और कैदखानों का स्थान कारखानों ने ले लिया है।’’
1971 के बाद तो लूट की गति तेज हो गयी।
अपवादों को छोड़कर सरकारों में भ्रष्टाचार ने संस्थागत रूप ले लिया।आज तो भ्रष्टाचार लगभग सर्वव्यापी हो चुका है।
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आजादी के तत्काल बाद एक केंद्रीय मंत्री ने प्रधान मंत्री नेहरू से कहा था कि सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।
इसकी निगरानी के लिए कोई छतरी संगठन बना दीजिए।
जवाहरलाल का जवाब था-उससे शासन में पस्तहिम्मती आएगी।
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आजादी के बाद से अब तक हुए सैकड़ों घोटालों को याद कर लीजिए।
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अब तो कांग्रेस ने एक ऐसे नोबल विजेता को अपना अघोषित सलाहकार बना लिया है जो भ्रष्टाचार की खुलेआम वकालत करता है।
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गत 24 फरवरी, 23 को भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
‘‘आम आदमी भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है।
हर स्तर पर जवाबदेही तय करने की जरूरत है।’’
अदालत ने यह भी कहा कि
‘‘किसी भी सरकारी दफ्तर में जाएं तो आप बिना डरे बाहर नहीं आएंगे।’’
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इसके अलावा भी अनेक उक्तियां आपको मिलेंगी।
पर,भ्रष्टाचार के राक्षस से निर्णायक लड़ाई कभी नहीं हुई।
वोट बैंक के दायरे के लोगों को छोड़कर आम जन में भ्रष्टों के खिलाफ भारी गुस्सा है।
देखना है कि अगले चुनाव में कितने मतदाता भ्रष्टों के पक्ष में मतदान करते हैं और कितने लोग उनके पक्ष में जो भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्षरत हैं ?इसी पर देश का भविष्य निर्भर करेगा।
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28 मार्च 24
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