इस देश में जब भी कोई खूंखार जेहादी आतंकवादी या दुर्दान्त माफिया मरता है या मारा जाता है तो उसके तुरंत बाद कई दलों और नेताओं का असली चरित्र जनता बीच एक बार फिर प्रकट हो जाता है।
वे इस तरह से शोकग्रस्त होकर चीत्कार करने लगते हैं जैसे उनके ही घर में गमी हुई है।
वैसे यह सब एक तरह ठीक ही होता है।
शांतिप्रिय जनता कुछ खास तरह के लोगों से एक बार फिर सावधान हो जाती है।
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हां,कोई माफिया हो या आतंकी,उसको सजा कानूनी प्रक्रिया अपना कर ही दी जानी चाहिए।
उसकी हत्या नहीं होनी चाहिए।
यदि हत्या होती है तो हत्यारों का पता लगाकर उन्हें सजा दी जानी चाहिए।
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वैसे अपना देश कैसा बन चुका हैं और यहां ऐसे -ऐसे लोग बसते हैं जो सामान्य कानूनी प्रक्रिया से ‘शांत’ ही नहीं होते।उनकी शक्ति दिन दूनी रात चैगुणी होती जाती है।
इसलिए कुछ लोगों की यह राय रहती है कि उन्हें उसी प्रक्रिया से रास्ते से हटाया जाना चाहिए जिस तरह प्रभु श्रीराम ने बालि को रास्ते से हटाया था।
इसके बावजूद श्रीराम को फिर भी मर्यादा पुरुषोत्तम ही कहा जाता है।
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