मैं उतना ही पढ़ पाता हूं जिससे लेख-काॅलम लिखने में मुझे मदद मिले।
यदि कोई पुस्तक लेखक मुझे इस उद्देश्य से अपनी पुस्तक देते हैं कि मैं उसे पढ़कर उस पर कुछ लिख दूं तो उसके लिए मेरे पास समय नहीं होता।
हां, अपने फेसबुक वाॅल पर मैं यह जरूर लिख देता हूं कि मुझे फलां लेखक की फलां पुस्तक मिलीं।
---सुरेंद्र किशोर
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