शनिवार, 23 मार्च 2024

 अब मत पूछिएगा कि 2 जी में क्या हुआ ?

----------------------

2 जी घोटाला मुकदमे में ताजा प्रगति जानने के 

लिए आज के अंग्रेजी अखबार पढ़ें

,-------------------- 

         --सुरेंद्र किशोर --  

----------------------

अक्सर चुनाव प्रचार या व्यक्तिगत बातचीत में कुछ लोग यह सवाल उठा देते हैं कि 

‘‘आखिर 2- जी घोटाले में क्या मिला ?

बोफोर्स मामले का क्या हुआ ? 

कुछ तो नहीं हुआ।’’

खुद ही जवाब भी दे देते हैं।

-------------

यह सवाल जब-जब टी वी डिबेट्स में उठता है कि भाजपा के भी अध-पढ़ प्रवक्ता चुप रह जाते हैं।

-----------------

यह सवाल उठा कर प्रकारांतर से वे यह कहना चाहते हैं कि आज जिन नेताओं के खिलाफ मोदी सरकार कार्रवाई कर रही है,उनका भी अंततः कुछ नहीं बिगड़ेगा।

ऐसा कह कर वे सिर्फ संतोष कर सकते हैं।बिगड़ेगा तो जरूर।यदि सरकारें बदलती नहीं रहतीं तो बोफोर्स- 2 जी में भी बहुत कुछ हो जाता।

-----------------

फिर भी इन दोनों मामलों में क्या-क्या हुआ,यह जान लीजिए।

----------------

प्रणव मुखर्जी जैसे नेताओं की बातों में भी मत आइएगा जो कह गये हैं कि 

‘‘ बोफोर्स घोटाला सिर्फ मीडिया ट्रायल था।कोई घोटाला था नहीं ।’’

---------------------

  दिल्ली हाईकोर्ट ने 22 मार्च 2024 को कहा कि 2 जी मामले के आरोपितों को दोषमुक्त करने के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई होगी।

 सी.बी.आई.की विशेष अदालत ने सन 2017 में आरोपितों ए.राजा और कनिमोझी आदि को दोषमुक्त करार दे दिया था।

मार्च, 2018 में सी.बी.आई.ने दोषमुक्ति के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की।

हाईकोर्ट ने 22 मार्च 2024 को कहा कि अपील सुनवाई योग्य  है।

  याद रहे कि 2 जी मामले में  200 करोड़ रुपए की घूसखोरी के आरोप को लोअर कोर्ट ने नजरअंदाज करते हुए आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया था।

---------------

उधर बोफोर्स मामले में तो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भी अपील करने में जानबूझकर भारी लापरवाही दिखाई थी।

कई महीने लगा दिए।

उसके बाद सन 2004 में उनकी सरकार ही चली गई।

  हालांकि बोफोर्स मामले में दलाली के पैसे एक बाफोर्स दलाल हिन्दुजा के मुम्बई स्थित फ्लैट की नीलामी करके आयकर ने जरूर वसूले।

  किंतु मनमोहन सरकार ने एक अन्य दलाल क्वाचोचि को दलाली के पैसे के साथ साफ बचकर निकल जाने दिया।

-----------------

अस्सी के दशक में जब बोफोर्स घोटाला सामने आया था तो राजीव सरकार ने कहा था कि कोई दलाली नहीं ली या दी गई।जबकि बाद में साबित हो गया कि राजीव सरकार की बात गलत थी।याद रहे कि फ्रांस की सोफ्मा कंपनी चूंकि दलाली नहीं देती थी,इसलिए स्वीडन की बोफोर्स कंपनी से तब तोपें खरीदी गयी थीं।

बोफोर्स कंपनी दलाली देती थी।

बोफोर्स तोप भी अच्छी है,पर सोफ्मा बोफोर्स से बेहतर है।

------------------------

   2 जी. स्पैक्ट्रम घोटाला मुकदमे में ए.राजा और कनिमोझी को दोषमुक्त करते हुए दिल्ली स्थित विशेष सी.बी.आई. जज ओ.पी.सैनी ने कहा था कि

 ‘‘कलाइनगर टी.वी.को कथित रिश्वत के रूप में शाहिद बलवा की कंपनी डी.बी.ग्रूप द्वारा 200 करोड़ रुपए देने के मामले में अभियोजन पक्ष ने किसी गवाह से जिरह तक नहीं की।

कोई सवाल नहीं किया।’’

    मान लिया कि कोई सवाल नहीं किया।

  क्योंकि मनमोहन सरकार के कार्यकाल में सी.बी.आई. के वकील को ऐसा करने की अनुमति नहीं रही होगी।

पर, खुद जज साहब के लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में ऐसे ही मौके के लिए  धारा -165 का प्रावधान किया गया है।

   सवाल है कि  धारा -165 में प्रदत्त अपने अधिकार का सैनी साहब ने इस्तेमाल क्यों नहीं किया।

 संभवतः मुख्यतः इसी सवाल पर अब हाई कोर्ट में विचार होगा कि 

 यानी लोअर कोर्ट के जज ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा -165 में  मिली शक्ति का उपयोग क्यों नहीं किया जबकि उनके पास  यह सूचना थी कि इस घोटाले में 200 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का आरोप लगा हैै ?

इस केस का यह सबसे प्रमुख सवाल दिल्ली हाईकोर्ट के सामने है।

 बोफोर्स मामले में सुनवाई,यदि सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए राजी होता है तो , के समय यह सवाल

उठेगा कि शासन के दो अंगों ने परस्परविरोधी तरीके से काम क्यों किया ?

  मनमोहन के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अपना प्रतिनिधि लंदन भेज कर स्विस बैंक की लंदन शाखा के उस बंद खाते को चालू करवा दिया जिसमें  बोफोर्स दलाल क्वात्रोचि के पैसे जमा  थे।

वे दलाली में मिले पैसे ही थे।

दूसरी ओर,

 भारत में आयकर महकमे ने उसी केस में दूसरे दलाल हिन्दूजा के फ्लैट को जब्त कर उसे नीलाम पर चढ़ा दिया।

  याद रहे कि आयकर न्यायाधिकरण ने कहा था कि बोफोर्स दलाली के पैसे हिन्दूजा व क्वात्रोचि को मिले थे।

अतः उस पर आयकर बनता है।

 याद रहे कि जब्त खाता खुल जाने के तत्काल बाद क्वोत्रात्रि पैसे निकाल कर भाग चुका था।

.......................................

हाल में यह खबर छपी है कि वी.पी.सिंह ने कागज का एक टुकड़ा ,जिसमें बोफोर्स दलाल के बैंक खाते का नंबर था,हवा में लहराया और राजीव गांधी सरकार चली गयी।

-------------------

जबकि सच्चाई यह है कि वी.पी.सिंह ने स्विस बैंक के जिस खाते का नंबर बताया था,वही नंबर बोफोर्स मुकदमे के आरोप पत्र में दर्ज है।

----------------

बोफोर्स को लेकर मशहूर  वकील अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में  याचिका दायर की थी।उसे सुनवाई के लिए मंजूर भी किया गया था।पता नहीं उसका क्या हश्र हुआ।यानी कब सुनवाई होगी !!

-----------------

23 मार्च 24


कोई टिप्पणी नहीं: