रिटायर होने के बाद ‘‘चलो गांव की ओर’’
--यदि गांवों में आपके पास जमीन है।
हां, बिहार सरकार को भी चाहिए कि वह शहरों पर से बोझ घटाने के लिए कानून -व्यवस्था यू.पी. के स्तर पर लाए।
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सुरेंद्र किशोर
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दिल्ली का वायु प्रदूषण निवासियों की जीवन प्रत्याशा में करीब 12 साल की कमी कर रहा है।
उसी तरह पटना का वायु प्रदूषण 10 साल आयु घटा रहा है।
मेरा आकलन है कि चुनाव लड़ने वाली कोई भी सरकार न तो परीक्षाओं में नकल या प्रश्न प्रत्र लीक की समस्या पर काबू पा सकती है और न ही प्रदूषण को कम कर सकती है।
हां,मोदी सरकार और नीतीश सरकार ने भ्रष्टाचार कम करके
सरकारी राजस्व जरूर बढ़ा दिया जिससे अच्छी सड़ंकंे बन रही हैं।बिजली गांवों तक पहुंच गयी।
पटना में फ्लाई ओवर व बेहतर सड़कों से लोग खुश है।हां,जाम की समस्या को काबू करने में बिहार सरकार हांफ रही है।विफल है।
क्योंकि अधिकतर घूसखोर पुलिसकर्मियों व निगम कमियों पर राज्य सरकार का कोई कंट्रोल ही नहीं है।मध्य पटना में भी घूस लेकर बीच सड़क पर दुकानें सजवाई जाती हैं।
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जीने की समस्या का भी यदि समाधान नहीं हो रहा हैं तो इस बीच क्या किया जाये ?!
‘‘बाईपास’’की तलाश कीजिए ।
मैंने तलाश कर ली है।
चलो गंाव की ओर।
अन्यथा, कैंसर और वायु प्रदूषण से घुट- घुट कर मरिए।
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मैं इन दिनों अपने पुश्तैनी गांव में भी अपना एक बसेरा बनाना चाहता हूं।
देखें सफल होता हूं या नहीं।
इसके लिए मैं
अक्सर गांव जा रहा हूं।
आज भी गया था।
जाने में करीब डेढ़ घंटे और आने में उतना ही समय लगा।
शेरपुर-दिघवारा गंगा पुल बन जाने पर करीब पौन घंटा लगेगा।
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बेहतर सड़कों व फ्लाई ओवर के कारण गति बढ़ी है।
मेरे गांव से किसी मरीज को अब एक से डेढ़ घंटे में ही पटना एम्स पहुंचाया जा सकता है।
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बिजली की आपूर्ति तो अब गांव -गांव अबाध है।मेरे गांव में भी बिजली नीतीश सरकार के आने के बाद ही 2009 में गयी।
पर,पेय जल का प्रबंध आपको खुद करना पड़ेगा।क्योंकि अपवादों को छोड़कर बिहार में सरकारी नल जल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है।
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गांव में रहने पर आप जैविक खेती कर-करा सकते हैं।
क्योंकि अपवादों को छोड़कर नगरों में मिलने वाले दूध से लेकर आलू तक कैंसर कारक है।
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17 मार्च 24
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