सन 1962 में तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ डा.राम मनोहर लोहिया उत्तर प्रदेश के फूल पुर में लोस चुनाव लड़ रहे थे।
दोनों के बीच का पत्र -व्यवहार पढि़ए
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लोहिया - ‘इस चुनाव में आपकी जीत तय है।लेकिन अगर यह जीत आपकी हार में बदल जाती है तो मैं काफी खुश होऊंगा और यह देशहित में भी होगा।
इससे आपको अपने में सुधार करने का मौका मिलेगा और आप अच्छे व्यक्ति बन पाएंगे।
अंत में, मैं आपके लंबे जीवन की कामना करता हूंं ताकि आपको सुधारने का मुझे मौका मिले।’
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नेहरू-‘मुझे खुशी है कि आप जैसा सौम्य व्यक्ति चुनाव में मुझे चुनौती दे रहा है।मेरा मानना है कि इस चुनाव अभियान का केंद्र बिंदु राजनीतिक योजनाएं होंगी।
इस बात का ख्याल रखें और सुनिश्चित करें कि व्यक्ति आधारित कोई चर्चा नहीं होगी।
राजनीतिक विरोध के बीच सौम्य व्यवहार को नहीं भूलना चाहिए।’
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अब नेहरू की इस कसौटी पर आज के नेताओं को कस कर देखिए।
दोनों के बीच का पत्र -व्यवहार पढि़ए
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लोहिया - ‘इस चुनाव में आपकी जीत तय है।लेकिन अगर यह जीत आपकी हार में बदल जाती है तो मैं काफी खुश होऊंगा और यह देशहित में भी होगा।
इससे आपको अपने में सुधार करने का मौका मिलेगा और आप अच्छे व्यक्ति बन पाएंगे।
अंत में, मैं आपके लंबे जीवन की कामना करता हूंं ताकि आपको सुधारने का मुझे मौका मिले।’
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नेहरू-‘मुझे खुशी है कि आप जैसा सौम्य व्यक्ति चुनाव में मुझे चुनौती दे रहा है।मेरा मानना है कि इस चुनाव अभियान का केंद्र बिंदु राजनीतिक योजनाएं होंगी।
इस बात का ख्याल रखें और सुनिश्चित करें कि व्यक्ति आधारित कोई चर्चा नहीं होगी।
राजनीतिक विरोध के बीच सौम्य व्यवहार को नहीं भूलना चाहिए।’
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अब नेहरू की इस कसौटी पर आज के नेताओं को कस कर देखिए।
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