पूर्व प्रधान मंत्री देवगौड़ा के दो पोते लोकसभा
का चुनाव लड़ रहे हैं।
इस पर जब कुछ लोगों ने उन पर वंशवाद का आरोप लगाया तो देवगौड़ा सार्वजनिक तौर पर रो पड़े !
वाह ! देवगौड़ा साहब आपके भोलपन पर कौन न फिदा हो जाए !!
उधर पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने भी सोचा कि अपने पोते को जिताने के लिए मतदाताओं के सामने रो देना कारगर भावनात्मक हथियार साबित होगा,तो वे हाल में रो पड़े।मैंने वह खबर एक्सप्रेस में देखी थी।
पता नहीं, इन दोनों के वंशजों पर मतदातागण द्रवित हुए या नहीं।
इस तरह न जाने कितने अन्य वी.आई.पी.के पोते और वंशज इस ‘राजवंशीय लोकतंत्र’ में अपनी तकदीर आजमा रहे हैं।
इस बात के बावजूद यह सब हो रहा है कि अपात्र उत्तराधिकारियों के कारण इस देश में वंशवाद ने कुछ राजनीतिक दलों को बर्बाद करना शुरू कर दिया है।
का चुनाव लड़ रहे हैं।
इस पर जब कुछ लोगों ने उन पर वंशवाद का आरोप लगाया तो देवगौड़ा सार्वजनिक तौर पर रो पड़े !
वाह ! देवगौड़ा साहब आपके भोलपन पर कौन न फिदा हो जाए !!
उधर पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने भी सोचा कि अपने पोते को जिताने के लिए मतदाताओं के सामने रो देना कारगर भावनात्मक हथियार साबित होगा,तो वे हाल में रो पड़े।मैंने वह खबर एक्सप्रेस में देखी थी।
पता नहीं, इन दोनों के वंशजों पर मतदातागण द्रवित हुए या नहीं।
इस तरह न जाने कितने अन्य वी.आई.पी.के पोते और वंशज इस ‘राजवंशीय लोकतंत्र’ में अपनी तकदीर आजमा रहे हैं।
इस बात के बावजूद यह सब हो रहा है कि अपात्र उत्तराधिकारियों के कारण इस देश में वंशवाद ने कुछ राजनीतिक दलों को बर्बाद करना शुरू कर दिया है।
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