पार्ट-3
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निर्जन टापू पर निश्ंिचत पड़ाव
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लेकिन छुट्टी मनाने वाले हफ्ता भर मस्त रहे।
एक खूबसूरत और गैर आबाद टापू पर उनका पूरा कब्जा था।
लिहाजा पूरा वक्त उन्होंने निश्चिंतता के साथ तैरने, धूप सेंकने मछली पकड़ने और नौका चलाने में बिताया।
इस मौज मस्ती के दौरान यह दल पास ही के दो निर्जन टापुओं तिन्नाकारा और पराली पर पिकनिक मनाने भी गया।
इसके अलावा बीच-पार्टियों ,संगीत और मछली मार अभियानों की भी भरमार रही।
जहां राजीव, राहुल और प्रियंका ने अपना काफी समय पानी में बिताया,वहां सोनिया ने दमे के कारण अपनी मां और जया के साथ शीशे की तली वाली नौका में समद्र तट में फैली मूंगे की चट्टानों को निहारने का आनंद लूटा।
इस दौरान राजीव कई बार टापू पर टहलने के लिए निकले मानो वे इस जगह से पूरी तरह वाकिफ हों ।
एक बार तो वे छिछले पानी में आ फंसी एक डाल्फिन को बचाने के लिए पानी में कूद पड़े ।इससे पहले नवंबर 1985 में भी राजीव ने बंगारम में एक दिन बिताया था।
लेकिन इस बात का अनुमान लगा पाना बहुत कठिन है कि साल के अंत में हुए इस तमाशे पर कुल कितना खर्च आया।कारण यह है कि कई एजेंसियों ने अपनी -अपनी तरह से इस पर खर्च उठाया।
उदाहरण के लिए खाने की व्यवस्था, मनोरंजन, पर्यटन और जल संबंधी खेलों के विकास संगठन स्पोर्टस की ओर से की गई थी।
यह लक्ष्यद्वीप प्रशासन का एक विभाग है।
छुट्टियों के दौरान इस संगठन के दो बावर्चियों समेत पांच कर्मचारी वहां मौजूद रहे।
लेकिन भोजन के निर्धारण और पकाने का निरीक्षण दिल्ली से आए प्रधान मंत्री के निजी रसोइए ने किया।
दिल्ली से ही तरह -तरह की शराब मंगाई गई थी।
इस मौके के लिए अगाट्टी में खास तौर पर 100 मुर्गे-मुर्गियों का फार्म लगाया गया।चीनी और ताजा मछली के अलावा पपीते,सपोटा,केले और अमरूद की व्यवस्था की गई थी।कवाराती से मक्खन और 100 डबल रोटियों की व्यवस्था की गई और कोचीन से चाॅकलेट ,कोल्ड ड्रिंक के 40 क्रेट, 300 बोतल मिनरल वाटर,अमूल मक्खन,काजू ,खाने की दूसरी चीजें ,20 किलो आटा,105 किलो बासमती चावल और ताजा सब्जियां कोचीन से लाई गईं।
@जारी@
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निर्जन टापू पर निश्ंिचत पड़ाव
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लेकिन छुट्टी मनाने वाले हफ्ता भर मस्त रहे।
एक खूबसूरत और गैर आबाद टापू पर उनका पूरा कब्जा था।
लिहाजा पूरा वक्त उन्होंने निश्चिंतता के साथ तैरने, धूप सेंकने मछली पकड़ने और नौका चलाने में बिताया।
इस मौज मस्ती के दौरान यह दल पास ही के दो निर्जन टापुओं तिन्नाकारा और पराली पर पिकनिक मनाने भी गया।
इसके अलावा बीच-पार्टियों ,संगीत और मछली मार अभियानों की भी भरमार रही।
जहां राजीव, राहुल और प्रियंका ने अपना काफी समय पानी में बिताया,वहां सोनिया ने दमे के कारण अपनी मां और जया के साथ शीशे की तली वाली नौका में समद्र तट में फैली मूंगे की चट्टानों को निहारने का आनंद लूटा।
इस दौरान राजीव कई बार टापू पर टहलने के लिए निकले मानो वे इस जगह से पूरी तरह वाकिफ हों ।
एक बार तो वे छिछले पानी में आ फंसी एक डाल्फिन को बचाने के लिए पानी में कूद पड़े ।इससे पहले नवंबर 1985 में भी राजीव ने बंगारम में एक दिन बिताया था।
लेकिन इस बात का अनुमान लगा पाना बहुत कठिन है कि साल के अंत में हुए इस तमाशे पर कुल कितना खर्च आया।कारण यह है कि कई एजेंसियों ने अपनी -अपनी तरह से इस पर खर्च उठाया।
उदाहरण के लिए खाने की व्यवस्था, मनोरंजन, पर्यटन और जल संबंधी खेलों के विकास संगठन स्पोर्टस की ओर से की गई थी।
यह लक्ष्यद्वीप प्रशासन का एक विभाग है।
छुट्टियों के दौरान इस संगठन के दो बावर्चियों समेत पांच कर्मचारी वहां मौजूद रहे।
लेकिन भोजन के निर्धारण और पकाने का निरीक्षण दिल्ली से आए प्रधान मंत्री के निजी रसोइए ने किया।
दिल्ली से ही तरह -तरह की शराब मंगाई गई थी।
इस मौके के लिए अगाट्टी में खास तौर पर 100 मुर्गे-मुर्गियों का फार्म लगाया गया।चीनी और ताजा मछली के अलावा पपीते,सपोटा,केले और अमरूद की व्यवस्था की गई थी।कवाराती से मक्खन और 100 डबल रोटियों की व्यवस्था की गई और कोचीन से चाॅकलेट ,कोल्ड ड्रिंक के 40 क्रेट, 300 बोतल मिनरल वाटर,अमूल मक्खन,काजू ,खाने की दूसरी चीजें ,20 किलो आटा,105 किलो बासमती चावल और ताजा सब्जियां कोचीन से लाई गईं।
@जारी@
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