सोमवार, 13 मई 2019

बिहार के साथ केंद्र की पुरानी नाइंसाफी
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1---1942 में प्रति व्यक्ति आय के मामले में बिहार 
का देश में ऊपर से चैथा स्थान था।
2---1969-70 में पंद्रहवें स्थान पर चला गया।
तब तक रेलभाड़ा समानीकरण का नियम केंद्र ने बना 
दिया  था।
3---प्रथम पंचवर्षीय योजना अवधि में बिहार को केंद्र से प्रति व्यक्ति 14 रुपए की मदद मिली  जबकि पंजाब को 88 और पश्चिम बंगाल को 43 रुपए।
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विशेष राज्य का दर्जा देकर उपर्युक्त क्षति की पूत्र्ति की जा सकती थी।पर वह काम भी नहीं हुआ।
न मनमोहन सरकार ने दिया और न ही मोदी सरकार ने।
हां, जो लोग पूर्वाग्रहग्रस्त नहीं हैं,वे मानते हैं कि मोदी सरकार ने अभूतपूर्व आर्थिक मदद बिहार को जरूर दी है,पर वह स्थायी इलाज नहीं है।
बिहार की उपेक्षा पर 1974 में मशहूर समाजवादी बुद्धिजीवी सच्चिदानंद सिन्हा की पुस्तक आई थी जिसका नाम है--‘द इंटरनल काॅलोनी।’
  उसमें यह साबित किया गया है कि बिहार किस तरह केंद्र का आंतरिक उपनिवेश रहा है।

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