सोमवार, 20 सितंबर 2021

 याद करें सन 2014 की राहुल गांधी से 

अर्णब गोस्वामी की मशहूर बातचीत

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उस बातचीत ने भी 2014 के लोस 

चुनाव नतीजे पर असर डाला था

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यदि इंटरव्यू उपलब्ध न हो तो मेरे 

ही फेसबुक वाॅल पर देख लीजिए।

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-- सुरेंद्र किशोर -

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अर्णब गोस्वामी ने जनवरी, 2014 में राहुल गांधी से लंबी बातचीत की थी।

तब वे ‘टाइम्स नाऊ’ के लिए काम कर रहे थे।

अर्णब ने शालीन सवालों -दर सवालों के जरिए यह साबित कर दिया कि राहुल गांधी,नरेंद्र मोदी का मुकाबला नहीं कर सकते।

उस इंटरव्यू से राहुल गांधी की वास्तविक क्षमता का

 देश को पता चल गया।

वह राहुल का पहला औपचारिक लंबा इंटरव्यू था।

2014 लोक सभा चुनाव का क्या नतीजा हुआ,

यह सबको मालूम है।

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यह अर्णब गोस्वामी की भी उपलब्धि थी।

उस उपलब्धि के लिए अर्णब को चीखने-चिल्लाने की कोई जरूरत नहीं पड़ी थी।

भविष्य में भी ऐसी पत्रकारीय उपलब्धि के लिए भी अर्णब जैसे तेजस्वी पत्रकार को चिल्लाना नहीं पड़ेगा।

बेजरूरत चिल्लाने व डिबेट के नाम पर कुछ जग जाहिर अशिष्ट लोगों को स्टुडियो में एक साथ बैठाकर एक दूसरे पर भुकवाने से किसी की इज्जत नहीं बढ़ती,न मीडिया की और न ही किसी और की।

हां, कहीं किसी में गुस्सा जरूर पैदा होता है।

नतीजतन कुछ समर्थवान लोग झूठा-सच्चा  केस भी करवा देते हैं।

इससे नाहक समय-पैसे की बर्बादी होती है।

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खुशी की बात है कि अर्णब के खिलाफ ऐसे दायर एक झूठे केस से उन्हें मुक्ति मिल गई है।

 अब उनके लिए यह सोच-विचार का अवसर है।

अपने लाखों शालीन प्रशंसकों के लिए अर्णब को अपनी उखाड़-पछाड़ वाली शैली बदल देनी चाहिए।

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 किसी का इंटरव्यू करने या किसी कार्यक्रम में प्रस्तुत होने से पहले कभी अर्णब गोस्वामी का गजब का होम वर्क होता था।

चीख-चिल्लाहट व हल्ला- गुल्ला गुणात्मक होम वर्क का विकल्प नहीं बन सकता।

उसे अब वैसा बनने भी नहीं देना चाहिए।

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--सुरेंद्र किशोर

19 सिमंबर 21

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