जातीय गणना में दिक्कत है,
पर रोहिणी आयोग की सिफारिश
लागू करने में कैसी दिक्कत ?
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--सुरेंद्र किशोर--
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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कह दिया कि हम जातीय गणना नहीं कराएंगे।
मेरी राय में यदि वह करवा भी देती तो कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ता।
यदि किसी कारणवश नहीं करवा पा रही है तो उससे भी आसमान नहीं गिर रहा है।
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खैर, अब पिछड़ों के वास्तविक भले की बात की जाए
ताकि पिछड़े समुदाय की सभी जातियों का समरूप विकास
हो सके।
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कुछ सवाल हैं तो
कुछ जवाब भी है।
आम पिछड़ों के हक में कुछ उपाय भी।
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क्या यह सवाल नहीं उठना चाहिए कि मंडल आरक्षण का अब तक कोई भी लाभ करीब एक हजार कमजोर पिछड़ी जातियों में से किसी उम्मीदवार को भी क्यों नहीं मिला ?
ऐसा क्यों हुआ जबकि 1993 के बाद पिछड़ी जातियों के अनेक दबंग नेता केंद्र की सरकार को चलाते रहे थे और कुछ नेता तो सरकार को ‘हांकते’ भी थे ?
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पिछड़ी जातियों के लिए केंद्र सरकार की सेवाओं में 27 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं।
उनमें से अभी औसतन 15 प्रतिशत सीटें ही
क्यों भर पाती हैं ?
जो लोग आज आरक्षण का दायरा बढ़वाना चाहते हैं,उन्होंने सत्ता में रहते समय कोटा खाली रह जाने की भीषण समस्या को हल करने के लिए क्या प्रयास किया ?
(वैसे आरक्षण का दायरा तो तभी बढ़ेगा जब सुप्रीम कोर्ट उसकी अनुमति देगा।)
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अब नरेंद्र मोदी सरकार से सवाल
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रोहिणी आयोग की सिफारिश को लागू क्यों नहीं किया जा रहा है ?
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आयोग ने सिफारिश की है कि 27 प्रतिशत के कोटे को चार हिस्सों में बांट दिया जाए।
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रोहिणी न्यायिक आयोग की रपट के अनुसार केंद्रीय सूची में शामिल कुल 2633 पिछड़ी जातियों में से करीब 1000 जातियों के किसी भी उम्मीदवार को मंडल आरक्षण का लाभ अब तक नहीं मिल सका है।
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याद रहे कि सन 2017 में गठित रोहिणी न्यायिक आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है।
मिली जानकारी के अनुसार आयोग ने 27 प्रतिशत मंडल आरक्षण को चार भागों में बांट देने की सिफारिश की है।
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यदि सिफारिश मान ली गई तो केंद्र की सूची में शामिल 97 मजबूत पिछड़ी जातियों को कुल 27 में से 10 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा।
1674 जातियों को दो प्रतिशत आरक्षण, 534 जातियों को 6 प्रतिशत आरक्षण और शेष 328 जातियों को 9 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
आयोग के अनुसार अब तक आरक्षण का अधिक लाभ कुछ मजबूत पिछड़ी जातियों को ही अधिक मिलता रहा है।
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आयोग ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों तथा लोक उपक्रमों के कर्मियों का सर्वे किया।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों के आंकड़े भी एकत्र किए गए।
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एक नमूना
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नीतीश सरकार ने अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की विशेष कोचिंग का प्रबंध करवाया है।
उससे अब राज्य सरकार की नौकरियों में अल्संख्यकों यानी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व बढ़ा है।
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नरेंद्र मोदी सरकार बड़े पैमाने पर पिछड़ी जातियों खास कर अति पिछड़ी जातियों के विद्यार्थियों के लिए उच्चस्तरीय कोचिंग का प्रबंध तो करवा ही सकती है।
उससे 27 प्रतिशत कोटा पूरा करने के मार्ग में आने वाली बाधा भी दूर हो सकती है।
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25 सितंबर 21
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