रविवार, 26 सितंबर 2021

 


अगले चुनाव का मुख्य मुद्दा

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भ्रष्टाचार पर चोट बनाम भ्रष्टों का बचाव

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साइड मुद्दा

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जेहाद का विरोध बनाम जेहाद का

 प्रत्यक्ष-परोक्ष समर्थन

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--सुरेंद्र किशोर-

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इस देश की भ्रष्ट राजनीति को है 

‘जेहादियों’ का पूरा सहारा 

बदले में भ्रष्ट राजनीति भी अपवादों को छोड़कर 

जेहादियों की 

तहे दिल से मदद कर रही

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अब मतदाताओं को सोचना और तय करना है।

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सन 2022 का यू.पी चुनाव--सेमी फाइनल

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सन 2024 का लोक सभा चुनाव फाइनल

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 भ्रष्ट राजनीति के समर्थन में एक नोबेल विजेता का 

यह गुरु मंत्र--पढ़ लीजिए।

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‘‘चाहे यह भ्रष्टाचार का विरोध हो या भ्रष्ट के रूप में देखे जाने का भय,

शायद भ्रष्टाचार अर्थ -व्यवस्था के पहियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण था, इसे काट दिया गया है।

मेरे कई व्यापारिक मित्र मुझे बताते हैं निर्णय लेेने की गति धीमी हो गई है।.............’’

--नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी,

हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान टाइम्स

23 अक्तूबर, 2019

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यह संयोग नहीं है कि अभिजीत बनर्जी ने ही 

कांग्रेस को ‘‘न्याय योजना’’ सुझाया था।

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कांग्रेस शासन काल में एक बड़े मीडिया समूह के मालिक ने मुझसे कहा था कि 

‘‘सुरेंद्र जी, भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाने की जरूरत नहीं है।भ्रष्टाचार यहां से जाने वाला नहीं है।’’

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भ्रष्टाचार और कांग्रेस 

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    प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि

‘‘यदि भ्रष्ट मंत्रियों -अफसरों पर कार्रवाई होगी तो प्रशासन में पस्तहिम्मती आएगी।’’

(-- एम.ओ.मथाई की पुस्तक से )

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 जून, 1964 में  यानी शास्त्री जी के कार्यकाल में पंजाब के मुख्य मंत्री प्रताप सिंह कैरो पद से हटा दिए गए।

उन पर भ्रष्टाचार के आरोप थे।फिर भी उन्हें नेहरू जी हटाना नहीं चाहते थे।

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 आरोप लगने पर प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि 

‘‘सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार तो विश्वव्यापी है।’’

(इंदिरा जी का यह बयान तब के अखबारों में मैंने पढ़ा था।)

जेपी ने जब भ्रष्टाचार आदि के खिलाफ आंदोलन शुरू किया तो इंदिरा जी ने जेपी को इंगित करते हुए कहा था कि ‘‘जो पूंजीपतियों से पैसे लेते हैं,वे भ्रष्टाचार की बात करते हैं।’’

उसके जवाब में जेपी ने अपने निजी खर्च और आय का पूरा विवरण एक पत्रिका में छपवा दिया।  

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राजीव गांधी की सरकार तो सन 1989 में बोफोर्स के दलालों को बचाने में चली गई।

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हालांकि राजीव गांधी एक अच्छी बात कह गए थे--

हम 100 पैसे भेजते हैं और उसमें से सिर्फ 15 पैसे ही जनता तक पहुंचते हैं।

85 प्रतिशत सरकारी राशि भ्रष्टाचार में ही तो चली जाती थी।

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अब आप ही अंदाज लगा लीजिए कि 100 पैसे में से जवाहरलाल नेहरू के राज में कितना घिसा ?

लालबहादुर शास्त्री के शासन काल में कितना घिसा ?

इंदिरा गांधी के राज में कितना घिसा ?

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आगे का राजनीतिक दृश्य

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  आगे क्या होने वाला है ?

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यदि सन 2024 में नरेंद्र मोदी फिर लोक सभा चुनाव जीत गए तब तो इस देश के न जाने कितने छोटे -बड़े नेता व उनके परिजन जेलों में होंगे ?

मुझे उनके नाम बताने की यहां जरूरत नहीं पड़नी चाहिए।

अखबार व टी.वी.आपको कई साल से बताते रहे हंै।

पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण चहुंओर ईश्वर की तरह ही राजनीति में भ्रष्टाचार सर्वव्यापी है।

अपवादों को छोड़कर।

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जिन नेताओं व उनके परिजनों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में केस चल रहे हैं,उनमें से अधिकतर मुकदमे सन 2029 तक तार्किक परिणति तक पहुंच चुके हांेगे।

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यदि सन 2024 में राजग विरोधियों की सरकार बन गई तो 

गैर राजग नेताआंे के खिलाफ जारी मुकदमे दबा दिए जाएंगे। इसका पूर्व उदाहरण मौजूद है।

 1980 में संजय गांधी के खिलाफ मुकदमे दबा दिए गए और 2004 में बोफोर्स मुकदमे का वही हाल हुआ।

बोफोर्स केस में तो अटल सरकार ने भी ‘प्रथम परिवार’ के प्रति नरमी दिखाई।कई महीनों तक अपील की अनुमति नहीं दी।

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 और क्या-क्या होगा,उसकी कल्पना कर लीजिए।

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16 सितंबर 21

              

  

 


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