संसद (सन 2001)जैसे हमले की पाक
साजिश पर भी भारत के ‘सेक्युलर’ दलों
व बुद्धिजीवियों की खतरनाक चुप्पी
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स्थानीय पलिस को सूचना दिए बिना
मुम्बई से एक आतंकी को दिल्ली
पुलिस ने किया गिरफ्तार
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--सुरेंद्र किशोर--
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पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइ.एस.आइ.के आतंकियों से हाल में पूछताछ की गई।
उससे यह पता चला कि इस देश में संसद जैसे हमले की उनकी एक और साजिश थी।
उस साजिश को पुलिस ने विफल कर दिया है।
यानी, लगता है कि सरकार देश की सुरक्षा के लिए कारगर कदम उठा रही है।
यह भी लगता है कि खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए सरकार जो राशि आबंटित करती है,उसका अब बेहतर इस्तेमाल हो रहा है।
किंतु क्या किसी राजग विरोधी दल के किसी नेता ने
इस साजिश के लिए पाकिस्तान व उसकी खुफिया एजेंसी की सार्वजनिक रूप से आलोचना की है ?
हां,कुछ अखबारों ने इस साजिश के खिलाफ संपादकीय जरूर लिखा है।
यहां तक कि दिल्ली पुलिस के विशेष कोषांग ने महाराष्ट्र से एक आतंकी जान मोहम्मद शेख को गिरफ्तार किया।
ऐसा करने से पहले दिल्ली पुलिस ने महाराष्ट्र पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी।
क्यों नहीं दी ?
इस पर अटकलें लगाई जा रही हैं।
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किसी ने ठीक ही कहा है कि कुछ राजग विरोधी दल पाक के खिलाफ ऐसे अवसर पर कोई बयान कैसे दे सकते हैं जबकि अगले साल यहां कई राज्यों में चुनाव होेने वाला है ?
क्या आप पाकिस्तान में जाकर वहां के मुसलमानों से कह सकते हैं कि आप लोग मोदी को हराइए ?
शायद नहीं।
पर, पाक पहुंच कर कांग्रेस नेता मणिशंकर अयर ने 2015 में एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए कह दिया था कि ‘‘पहले तो मोदी को सत्ता से निकालो।’’
ऐसा वही नेता कह सकता है जो यह समझता या जानता है कि भारत के चुनाव में पाक के लोगों की भी परोक्ष भूमिका होती है।
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16 सितंबर 21
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