कानोंकान
सुरेंद्र किशोर
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40 मंजिली इमारत ध्वस्त करने का आदेश अन्य के लिए कड़ा संदेश
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सुप्रीम कोर्ट ने नोयडा में सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला टावरों को गिरा देने का आदेश दे दिया है।
नियमों का उलंघन करके इसे बनाया गया है।
यह अच्छी बात है कि मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अक्षरशः पालन करने का निदेश अफसरों को दे दिया है।
याद रहे कि ऐसे गैरकानूनी निर्माण संबंधित सरकारी अफसरों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं होता।
योगी आदित्यनाथ ने अफसरों की समिति बनाकर इस बात की जांच कराने का निदेश दिया है कि किन -किन अफसरों ने
बिल्डर को गैर कानूनी तरीके से मदद की थी।
उन दोषी अफसरों को सजा देने का भी निदेश मुख्य मंत्री ने दे दिया है।
यदि अंततः यह इमारत ध्वस्त कर दी गई और अफसरों को सजा मिल गई तो वह कार्रवाई देश-प्रदेश के अन्य कानून तोड़कों को भी कड़ा संदेश देगी।
संबंधित अफसरों को ‘पटाकर’ गैरकानूनी इमारतें बना लेने की प्रवृति इस देश में आम हो गई है।
बिहार में भी ऐसी गैरकानूनी इमारतों की कमी नहीं है।
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पटना का दीघा जमीन विवाद
दोहरे मापदंड की उपज
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पटना में एक व्यवस्थित काॅलोनी के निर्माण के लिए सत्तर के दशक में दीघा में 1024 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हुआ।
पर, इस मामले में प्रारंभ में ही दो महत्वपूर्ण गलतियां र्हुइं।
एक तो जमीन के मुआवजे की राशि काफी कम रखी गई।
दूसरी गलती यह हुई कि एक बड़े आई.ए.एस.अफसर की दीघास्थित जमीन को अधिग्रहण से मुक्त कर दिया गया।
इस ‘मुक्ति’ से भूमि मालिकों को लगा कि उनकी जमीन तो औने -पौने दाम पर ली जा रही है।पर एक प्रभावशाली व्यक्ति की 4 एकड़ जमीन को मुक्ति मिल गई है।
याद रहे कि किसानों की दीघा की जमीन के साथ ही उस अफसर की भी 4 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हुआ था।
इस दोहरे मापदंड के खिलाफ गुस्साए किसानों ने अधिग्रहीत जमीन को अधिक कीमत पर निजी हाथों बेचना शुरू कर दिया।
किसानों ने मुआवजे की सरकारी राशि जानबूझ कर नहीं उठाई ।
सरकारी खजाने में मुआवजे की राशि पड़ी रह गई।
इस तरह दीघा की जमीन पर अवैध कब्जा आज तक बिहार सरकार के लिए समस्या बनी हुई है।
सबसे खराब बात यह हुई कि दीघा विवाद व बाद के विजया जमीन विवाद के बाद बिहार सरकार ने खुद जमीन अधिग्रहीत कर आवासीय काॅलोनी बनाने की अपनी जिम्मेदारी त्याग दी।
नतीजतन पटना के आसपास बड़े पैमाने पर अव्यवस्थित काॅलोनियां बस रही हैं ।वे एक दिन भीषण जल जमाव का कारण बनंेगी।
वह जल जमाव राज्य सरकार की आलोचना का एक और आधार बनेगा।
यदि बिहार सरकार अभी से पब्लिक -प्रायवेट- पार्टनरशिप के आधार पर काॅलोनियां विकसित करे तो बेहतर होता।
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कैंसर के फैलाव पर नजर रखे सरकार
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बिहार के किन इलाकों में कैंसर के अपेक्षाकृत अधिक मरीज पाए जा रहे हैं ?
गंगा किनारे तो यह समस्या लंबे मय से देखी ही जा रही है।
पर,राज्य के कुछ अन्य हिस्सों में भी इसकी सघन जांच होनी चाहिए।
सरसरी सर्वेक्षण तो फिलहाल पटना स्थित उन अस्पतालों से हो सकता है जहां कैंसर का इलाज होता है।
क्या कैंसर मरीज वहां अधिक हंै जहां के खेतों में रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है ?
यदि ऐसा है तो उन इलाकों में जैविक खेती पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।
इस बीच खबर है कि कतरनी चावल की भी खूशबू कम हो रही है।
यह खबर चिंताजनक है।
जांच से पता चला है कि रासायनिक खाद का अधिक इस्तेमाल इसका प्रमुख कारण है।
दूसरा कारण बढ़ता तापमान भी है।
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भूली-बिसरी याद
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एक बार मैंने राम विलास पासवान से पूछा था,‘‘क्या आप
मुख्य मंत्री पद के उम्मीदवार हैं ?’’
उन्होंने पलट कर सवाल किया,
‘‘क्या आप किसी स्थानीय अखबार के ब्यूरो चीफ बन सकते हैं ?’’
तब मैं दिल्ली के एक
अखबार का पटना में विशेष संवाददाता था।)
मैंने कहा- नहीं।
उस पर उन्होंने कहा कि ‘‘तो फिर मैं मुख्य मंत्री क्यों बनूंगा ?’’
मेरा सवाल था-तो फिर चुनाव के समय आपके समर्थक लोग आपको भावी मुख्य मंत्री के रूप में पेश क्यों करते हैं ?
आप उसका विरोध भी नहीं करते।
इस पर पासवानजी ने कहा कि ‘‘मेरे लाखों समर्थक जब यह सुनते हैं कि मैं मुख्य मंत्री बन सकता हूं तो वे और भी अधिक उत्साहित होकर हमारी पार्टी के लिए काम करते हैं।’’
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और अंत में
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जब किसी राष्ट्रीय दल के अपने ‘वोट बैंक’ की पूंजी घटने लगती है तो उस दल के कुछ महत्वाकांक्षी क्षेत्रीय सूबेदार कई दफा हाईकमान के निदेशों का पालन करने से इनकार कर देते हैं।
कांग्रेस में इन दिनों यही हो रहा है।
कांगे्रस की अधिकतर राज्य शाखाओं में भारी गुटबंदी चल रही है ।
हाईकमान वैसे कई मामलों में लाचार नजर आ रहा है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल में कहा कि ‘‘जालियांवाला बाग का नवीनीकरण शहीदों का अपमान है।’’
पर, दूसरी ओर पंजाब के मुख्य मंत्री अमरिंदर सिंह ने सार्वजनिक रूप से कह दिया कि ‘‘नवीकरण में कुछ भी गलत नहीं है।’’
इंदिरा गांधी के कार्यकाल में कोई क्षेत्रीय कांग्रेसी नेता ऐसा बयान देकर पार्टी मेें बना नहीं रह सकता था।क्योंकि तब कांग्रेस के पास अपना मजबूत वोट बैंक था जो इंदिरा गांधी
से जुड़ा हुआ था।
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3 अगस्त 21
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