नेकी कर दरिया में डाल !
....................................................
--सुरेंद्र किशोर--
........................................................
मेरा मानना है कि किसी प्रतिफल यानी रिटर्न की उम्मीद
किए बिना ही भरसक व्यक्ति व समष्टि का हित करते जाना चाहिए,यदि करने की स्थिति में हैं तो।
क्योंकि ईश्वर ने हमें जीवों में श्रेष्ठ बनाकर हम पर बड़ा उपकार किया है।
मेरी समझ से इस उपकार के लिए ईश्वर को धन्यवाद इसी तरह दिया जा सकता है।
...................................
हां, किसी से किसी तरह के रिटर्न की प्रतीक्षा कीजिएगा तो घोर निराशा होगी।
वैसे इस दुनिया में अब भी जमीर वाले कुछ लोग तो हैं।
इसलिए संभव है कि आपको बिन मांगे किसी तरह का रिटर्न मिल जाए।
..........................
बल्कि कुछ अनुभवी लोगों के अनुभव तो इसके विपरीत हैं।
एक बार किसी ने स्वामी विवेकानंद से कहा -‘‘फलां व्यक्ति आप की बड़ी आलोचना कर रहा था।’’
उस पर विवेकानंद ने कहा -- ‘‘ऐसा हो ही नहीं सकता।’’
प्रश्न--क्यों ?
जवाब-क्योंकि मैंने तो कभी उसका कोई भला किया ही नहीं।
विवेकानंद की जगह आप किसी और का नाम उधृत कर सकते हैंे।
.....................................
आचार्य रजनीश यानी ओशो ने उसका कारण बताया है।
उन्होंने कहा कि तुम जिसका भला करते हो,उसके मन में हीन भावना पैदा हो जाती है।
तुम्हारे सम्मुख आने से उसकी वह भावना और भी बलवती हो जाती है।
इसलिए वह तुम्हारे सामने आने से बचना चाहता है।
यदि ऐसे बचने में उसे कठिनाई होती है तो वह तुमसे झगड़ा कर लेता है।
बचने का इससे बेहतर उपाय और भला क्या हो सकता है ?
आप यहां भी ओशो की जगह किसी और का नाम ‘फिट’ कर सकते हैं।
..........................
मैंने विवेकानंद और ओशो की ये उक्तियां कहीं पढ़ी या सुनी हैं।
किंतु अभी लिखंत में वे मेरे पास नहीं हंै।
संभव है कि मेरी
स्मरण शक्ति जवाब दे रही हो,इसीलिए अपने बचाव के लिए यह लिख दिया कि इनके बदले किसी अन्य का नाम उधृत कर सकते हैं।
दरअसल महत्व बात का अधिक है।
..........................................
और अंत में
...................
सुर नर मुनि सब कै यह रीति,
स्वारथ लागि करहीं सब प्रीति ।
......................................................
जब गोस्वामी तुलसीदास के काल में यानी सोलहवीं सदी में समाज का यह हाल था तो आज तो घोर कलियुग है।
.................................
29 अगस्त 21
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें