आमने-सामने की बातचीत हो
या सोशल मीडिया पर चर्चा !
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बेहतर है कि बहस हार जाओ,पर दोस्त मत ‘हारो’।
यानी,
दोस्त मत छोड़ो।संबंध खराब मत करो।
बहस में जीतने के चक्कर में कई लोग, कई बार संबंध
खराब कर लेते हैं।
बीच का रास्ता यह है कि ‘अनफंे्रड’ कर दो।
इससे यह होगा कि कभी मिलोगे तो शर्मिंदा नहंीं होना पड़ेगा।
सबको अपनी -अपनी राय रखने व उस पर अड़े रहने का पूरा अधिकार है।
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लोकतंत्र में हर पांच साल पर जनता किसी को गलत व किसी को सही साबित कर ही देती है।
मैंने दशकों से देखा है कि अत्यंत थोड़े से अपवादों को छोड़कर इस देश के मतदाता अक्सर सही ही होते हैं।
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--सुरेंद्र किशोर
14 सितंबर 21
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