अनुच्छेद-142 का बेहतर इस्तेमाल करे सुप्रीम कोर्ट
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राजीव गांधी के हत्यारों की सजा घटाने के लिए संविधान के जिस अनुच्छेद का अदालत ने सहारा लिया है,उसी अनुच्छेद का इस्तेमाल अब वह भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के खिलाफ करे।
अन्यथा, देर-सबेर या तो तानाशाही आ जाएगी या फिर देश गुलाम हो जाएगा।
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सुरेंद्र किशोर
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद -142 ने सुप्रीम कोर्ट को जो विशेष अधिकार दे रखा है,उसी का सहारा लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव गांधी के हत्यारों की सजा कल कम कर दी।
सुप्रीम कोर्ट से, जो यह कह रहा है कि ‘‘भ्रष्ट लोग देश को तबाह कर रहे हैं’’ मेरा एक निवेदन है।
निवेदन यह है कि मामले उसके विचारार्थ आने पर वह भ्रष्टाचार के आरोपितों की सजा बढ़ा दिया करे।
उदाहरणार्थ, यदि किसी आरोपित के खिलाफ कम से कम दस करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है,तो उसे फांसी की सजा देने का आदेश सुप्रीम कोर्ट दे दिया करे।
(याद रहे कि अनुच्छेद- 142 मौजूदा कानूनों से परे जाकर भी आदेश देने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को देता है।
दरअसल संविधान निर्माताओं ने यह पूर्वानुमान कर लिया था कि इस देश की राजनीति व प्रशासन पर एक दिन ऐसे- ऐसे सत्ताधारी छा जाएंगे जो अपने स्वार्थ के लिए कानूनों को आए दिन तोड़ने लगेंगे और अपराध को कारगर ढंग से रोकने के लिए कोई कड़ा कानून भी नहीं बनाएंगे।उस दिन इस अनुच्छेद के जरिए सुप्रीम कोर्ट देश को बचा सकता है।)
याद रहे कि भ्रष्टाचार न सिर्फ देश को तबाह कर रहा है,बल्कि एक बार फिर एक अन्य तरह की गुलामी की पृष्ठभूमि भी तैयार कर रहा है।
ऐसे अनेक उदाहरण आते रहते हैं कि जब इस देश के कतिपय नेताओं ,अफसरों और अन्य लोगों को राष्ट्रविरोधी और देश तोड़क शक्तियां पैसे देकर खरीद ले रही हैं।
1.-नब्बे के दशक में जैन हवाला कांड के तहत हमारे देश के जिन शीर्ष नेताओं ने भारी पैसे लिए,वे पैसे कहां से आए थे ?
वे पैसे हवाला के जरिए विदेशी जेहादी ताकतों ने कश्मीर के आतंकियों के लिए भेजे थे।
उन्हीं पैसों में से देश के प्रमुख 55 नेताओं व अफसरों को भारी पैसे मिले थे।
वे नेतागण तब देश की राजनीति के ‘‘हू इज हू’’ थे।
उन नेताओं में से कुछ ने इस देश में सक्रिय आतंकियों को मुकदमों से बचाये भी थे।
ऐसी खबर तब इंडिया टूडे में छपी थी।
इंडिया टूडे का वह अंक मेरे पास भी है।
2.-नब्बे के दशक में जब दाउद इब्राहिम ने समुद्र के रास्ते बड़ी मात्रा में विस्फोटक बंबई को दहलाने के लिए भिजवाए तो तट पर रक्षा में लगे सरकारी मुलाजिमों ने रिश्वत लेकर डोंगियों पर लदे विस्फोटक उतरने दिए थे।
इस काम के लिए उन घूसखोरों ने सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक रिश्वत की मांग आतंकियों ंसे की थी।
क्योंकि सरकारी कर्मियों को लग गया था कि डांेगियों में विस्फोटक पदार्थ हैं।उन्हें अपेक्षाकृत अधिक रिश्वत मिली भी थी।
ऐसे अन्य अनेक उदाहरण समय -समय पर मिलते रहते रहते हैं।
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12 नवंबर 22
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