बुधवार, 2 नवंबर 2022

   

आजादी की कहानी,सावित्री दीदी की 

जुबानी,‘दीदी’ में जिंदा हैं बापू

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--राजीव कांत मिश्र 

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भागलपुर के भीखनपुर में रहने वाला हमारा पूरा परिवार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी रहा है।

मेरे पिता जी स्वं.पंडित निशिकांत मिश्र,बड़े पिता जी स्व.बालकृष्ण मिश्र,मेरी मां संध्या मिश्र और बड़ी मां सवित्री मिश्र के अलावे परिवार के कई सदस्य अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय थे।

    जंग ए आजादी की लड़ाई लड़ने में हमारी दादी ने परिवार के सभी सदस्यों को प्रोत्साहित किया।

भागलपुर में भारतीय आजादी की लड़ाई को धार देने के लिए महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी से लेकर डा.राजेंद्र प्रसाद,सुभाष चंद्र बोस लाल लाजपत राय समेत देश के सभी बड़े क्रांतिकारी समय -समय पर आते रहे।

  मेरी बड़ी मां सावित्री मिश्र जिन्हें लोग सम्मान से ‘दीदी’ कह कर संबोधित करते हैं,उन्होंने महिला क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया था।

  आज भी जब वे अंग्रेजों के खिलाफ भागलपुर के लोगों के स्वतंत्रता संघर्ष की गाथा सुनाती हैं तो लगता है कि मानो हम चलचित्र देख रहे हैं और गांधी जी साक्षात हमारे सामने आ खड़े हुए मालूम पड़ते हैैं।

 स्वतंत्रता संग्राम की घटनाओं के बारे में मां और पिता जी को सुनते हुए हम बड़े हुए हैं।

आज भी जब बड़ी मां यानी सावित्री दीदी से ब्रिटिश  के खिलाफ अपने परिवार और भागलपुर के लोगों की वीरता और राष्ट्रभक्ति की कहानी सुनता हूं तो लगता है कि सुनता ही रहूं।

  दीदी में राष्ट्रपिता गांधी और आजादी की लड़ाई की घटनाएं पूरी तरह जीवंत हैं।

इस उम्र में उनकी उनकी यादाश्त शक्ति भी हतप्रभ कर देने वाली है।

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बाकी विवरण पढ़िए मासिक पत्रिका ‘‘भारत वार्ता’’(अक्तूबर 2022) के संबंधित पेज की स्कैन काॅपी में जो नीचे प्रस्तुत की गई है। 

   


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