कर्पूरी की कहानी
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यदि कोई नेता कर्पूरी ठाकुर जैसा स्वच्छ छवि का हो तो उसकी छोटी-मोटी गलती को सुप्रीम कोर्ट का जज भी नजरअंदाज कर देता है।
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किंतु आज जैसे ही किसी सर्वज्ञात महा भ्रष्ट नेता के खिलाफ भी एजेंसियां कार्रवाई शुरू करती हंै तो एक तरफ वह ‘‘बदले की भावना’’ वाला रटा-रटाया आरोप लगा देता है तो दूसरी तरफ बदजुबानी के साथ-साथ जातीय समर्थन की अपनी ताकत का भी सड़कों पर भांेड़ा प्रदर्शन करने लगता है।
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ऐसे में मुधोलकर आयोग की रपट का एक अंश यहां प्रस्तुत है।
महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार(1967-68)के मंत्रियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जे.आर.मुधोलकर के नेतृत्व में गठित न्यायिक जांच आयोग ने जांच की थी।
जांच रपट जनवरी, 1969 में आ गई।
(अय्यर और मुधोलकर आयोगों की रपटों की काॅपियां मैंने
गुलजारबाग,पटना स्थित सरकारी प्रेस से मंगवाई थीं।
मेरा मानना है कि आजादी के तत्काल बाद किस तरह बिहार को यहां के तब के हुक्मरानों ने बर्बाद किया,वह कहानी आपको अय्यर कमीशन की रपट में मिलेगी।
किस तरह आजादी के तत्काल बाद के वर्षों में राष्ट्रीय सत्ताधारी नेताओं ने देश को गलत रास्ते पर चलाया ,उसकी सच्ची कहानी आपको एम.ओ. मथाई की दो किताबों में मिल जाएंगी।
मथाई 13 साल तक प्रधान मंत्री नेहरू का निजी सचिव था।
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याद रहे कि कर्पूरी ठाकुर महामाया सरकार में उप मुख्य मंत्री,वित्त मंत्री और शिक्षा मंत्री थे।
कुछ अन्य विभाग भी उनके पास थे।
कर्पूरी ठाकुर के बारे में मुधोलकर आयोग ने अपनी रपट में लिखा था कि
‘‘हैड मिस्टर कर्पूरी ठाकुर नाॅट इज्वाएड अ हाई रिपुटेशन ऐज अ क्लीन एंड औनेस्ट पोलिटिकल लीडर आॅफ कंन्ट्री ,आई वुड एभ बीन इनक्लाइंड टू टेक अ वेरी सिरियस भीउ आॅफ द पार्ट ही प्लेड इन दिस साॅरी अफेयर।
बट ऐज थिंग्स स्टैंड्स एंड ऐज हि ऐपीयर्स टू हैव हिप्टोनाइज्ड हिमसेल्फ इन्टू द बिलिफ दैट साह(कुशेश्वर साह)इज अ डिजर्विंग मैन एंड अ नीडी पाॅलिटिकल सफरर ,आई विल कन्टंेट माइसेल्फ सेइंग दैट हिज ऐक्शन वेयर इम्प्रोपर।’’-पेज नंबर-247
याद रहे कि यह मामला समस्तीपुर कोर्ट परिसर में स्वतंत्रता सेनानी कुशेश्वर साह को एक स्टाॅल आबंटित करने का था।
आबंटन से पहले नियमों का पालन नहीं किया गया था।
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सुरेंद्र किशोर
17 नवंबर 22
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