पाक के भाइयो ! या तो आप धार्मिक लक्ष्य हासिल कीजिए
या भौतिक लक्ष्य,एक साथ दोनों हासिल होना असंभव है
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सुरेंद्र किशोर
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान ने कहा है कि
‘‘भारत की विदेश नीति देखिए।
वो बिना किसी डर के रूस से तेल का आयात कर रहा है।पश्चिमी देशों का उस पर कोई दबाव नहीं है।
भारत अपने राष्ट्रीय हितों को प्रमुखता से आगे रखता है।
भारत एक स्वतंत्र और मजबूत राष्ट्र है,वहीं पाकिस्तानी शासक गुलाम हैं।’’
इमरान साहब,भारत अपने संसाधनों का इस्तेमाल अपने देश को सैनिक तथा अन्य तरह से मजबूत बनाने के काम में लगा हुआ है।
पिछले कुछ वर्षों में इस काम में तेजी आई है।
क्योंकि भ्रष्टाचार और महा घोटालों में सार्वजनिक धन अब पहले की अपेक्षा कम जाया हो रहा है।
दूसरी तरफ पाकिस्तान अपने संसाधनों का इस्तेमाल भ्रष्टाचार के अलावा भारत सहित दुनिया भर में हथियारों के बल पर इस्लाम के प्रचार के लिए करता रहा है।
यहां तक कि विदेशों से मिली अनुग्रह राशि में से कुछ धन का इस्तेमाल भी पाक आतंकवाद को आगे बढ़ाने के लिए करता है।
सन 1947 के बाद पाक ने भारत पर चार बार हमला किया।
उसमें जो पैसे लगे,वे पाकिस्तान के विकास में लग सकते थे।
उससे पाक स्वावलंबी बन सकता था।
पर,दूसरी ओर यहां तक कि ओसामा बिन लादेन भी पाकिस्तान में ही शरण पाता है।
इमरान साहब,जब तक पाकिस्तान व वहां के लोग अपना मुख्य लक्ष्य नहीं बदलेंगे,दूसरे देशों के इशारों पर उन्हें नाचना ही पड़ेगा।अभी तो और भी बुरे दिन आ सकते हैं।
यदि पाक के शासक व मदरसा शिक्षित वहां के अधिकतर लोग यह मानते हैं कि जीवन का एकमात्र लक्ष्य जेहाद है तो उसी में मगन रहिए।
उसमें आपको भारी आत्मिक सुख मिलेगा।
फिर तो भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की तरफ ललचाई नजरों से देखने या इसकी तरह बनने की कोशिश करने की जरूरत भी क्या है ?
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दोनों में से एक ही काम संभव है।
या तो भारत की तरह बनिए या ‘‘आत्मिक सुख’’ प्राप्त करिए।
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30 अक्तूबर 22
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