गुरुवार, 24 नवंबर 2022

  जिस देश में ऐसे -ऐसे नेता सत्ता में ,

 उस देश में लोकतंत्र का भविष्य कैसा ?

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    सुरेंद्र किशोर

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  ममता बनर्जी ने बंगलादेशी घुसपैठिया समर्थक वाम मोरचा सरकार का विरोध करके पश्चिम बंगाल में सन 2011 में सत्ता में आईं ।

  सत्ता में आने के बाद अब मुख्य मंत्री ममता बनर्जी उन घुसपैठियों को शरणार्थी बता रही हैं।

ममता उनसे कह रही है कि वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वा लो अन्यथा केंद्र सरकार तुम्हें डिटेंशन कैंप में भेज देगी।

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  4 अगस्त, 2005 को ममता बनर्जी ने लोक सभा के स्पीकर के टेबल पर कागज का पुलिंदा फेंका।

उसमें अवैध बंगला देशी घुसपैठियों को (पश्चिम बंगाल के वाम मोरचा सरकार द्वारा) मतदाता बनाए जाने के सबूत थे।

उनके नाम गैरकानूनी तरीके से मतदाता सूची में शामिल करा दिए गए थे।जबकि उनके नाम बांग्ला देश के वोटर लिस्ट में भी थे।

तब ममता ने सदन में कहा कि घुसपैठ की समस्या राज्य में महा विपत्ति बन चुकी है।

इन घुसपैठियों के वोट का लाभ वाम मोर्चा उठा रहा है।

ममता ने उस पर सदन में चर्चा की मांग की।

चर्चा की अनुमति न मिलने पर ममता ने सदन की सदस्यता

 से इस्तीफा भी दे दिया था।

 चूंकि एक प्रारूप में विधिवत तरीके से इस्तीफा तैयार नहीं था,

इसलिए उसे मंजूर नहीं किया गया।

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अब वही बंगलादेशी घुसपैठिए ममता के विपत्ति के बदले वरदान बन चुके हैं।उनकी चुनावी जीत का मूलाधार वही हैं।

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इधर लगता है कि केंद्र सरकार घुसपैठियों के खिलाफ कोई अभियान चलाने वाली है। एक पूर्व अफसर को 

पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाए जाने से यह संकेत मिल रहा है।संभव है कि ममता जी को अलग से इस संबंध में कोई

खास सूचना मिली हो।

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दूसरा दृश्य

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कांग्रेसी भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के नेतृत्व में आदोलन चला कर उससे मिली लोकप्रियता के कारण आम आदमी पार्टी सत्ता में आईं।

अब वही पार्टी तिहाड़ जेल में कैद अपने मंत्री सत्येंद्र जैन से इस्तीफा तक नहीं ले रही है।जबकि, जैन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।

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   जिस देश में ऐसे -ऐसे नेता सत्ता में आ -आकर देश का कचरा करते रहते हैं,उस देश में लोकतंत्र कितने दिनों को मेहमान है ?

‘आप’ और टी.एम.सी.के अलावा भी ऐसे उदाहरण आपको इस अभागे देश में मिल जाएंगे।


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24 नवंबर 22  


 


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