मराठी के बाद अब जार्ज फर्नांडिस
पर अंग्रेजी में किताब
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सुरेंद्र किशोर
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जार्ज फर्नांडिस का पूरा नाम क्या है ?
इसका जवाब कम ही लोगों के पास होगा।
मैं बताता हूं पूरा नाम।
वह है --जार्ज मैथ्यू इसाडोर फर्नांडिस।
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नालंदा से जब जार्ज लोक सभा का चुनाव लड़ रहे थे तो एक संवाददाता के रूप में मैं वहां गया था।
मैंने एक ग्रामीण से पूछा- आप किसको वोट देंगे ?
उसने कहा--जांडिस फ्रांडिस को।
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यानी, जार्ज के कई रूप थे।उनका नाम कुछ भी हो !!
उनके संपर्क क्षेत्र बहुत व्यापक थे।
यानी, उन्हें जानने वाले लोगों ने उन्हें कई रूपों में देखा है।
अधिकतर के पास उनको लेकर अनेकानेक रोमांचक व शौर्यपूर्ण कहानियां हैं।
उनमें से अधिकतर कहानियां गर्व करने वाली हैं।
उनके व्यक्तित्व का फलक विस्तृत था।
जार्ज के मित्र,उनके सहकर्मी, उनके समर्थक,उनके प्रशंसक ,उनके राजनीतिक विरोधी,इमरजेंसी में जान हथेली पर रखकर उनके साथ ,उनके निदेश पर काम करने वाले गुमनाम लोगों ने उनके अनेक रूप देखे हैं।
उन्हंे किसी एक पुस्तक में समेटना संभव नहीं है।
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फिर भी जार्ज पर एक नई किताब आज मुझे मिली है।
करीब साढे़ पांच सौ पन्नों की इस अंग्रेजी किताब को मैंने अभी पढ़ा नहीं है।
जार्ज को जिन जानने वालों ने इसे अब तक पढ़ा है,उनकी इस पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं।
मैं एक ही बात कह सकता हूं कि बड़े लोगों पर हर नई किताब,एक और किताब की जरूरत बता देती है।
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मुम्बई के पत्रकार व जार्ज के समाजवादी सहकर्मी रहे नीलू दामले ने जार्ज पर मराठी में पुस्तक लिखी है।
उसे लिखने से पहले नीलू ने करीब एक सप्ताह पटना स्थित मेरे आवास में रह कर मुझसे तथा बिहार के कुछ अन्य लोगों से विस्तृत जानकारियां व कागजात लिए थे।
याद रहे कि आपातकाल में जब जार्ज भूमिगत थे तो मैं उनसे पटना,बंगलौर,कलकत्ता और
दिल्ली में बारी -बारी से मिला था।नीलू को यह मालूम था।इसीलिए उन्होंने मेरे यहां काफी समय बिताया।
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खुशी की बात है कि मेरी जानकारी के अनुसार मराठी (नीलू दामले)और अंग्रेजी(राहुल रामगंुडम) में उन पर
अच्छी पुस्तकें आ गई हैं।
अब हिन्दी में आनी चाहिए।ं कई छूट गईं बातें भी हिन्दी में आ जाएंगी।जार्ज में रूचि रखने वाले हिन्दी पट्टी में सर्वाधिक लोग हैं।
याद रहे कि जार्ज का अधिकांश राजनीतिक और संसदीय जीवन बिहार से ही जुड़ा रहा।
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सुरेंद्र किशोर
1 नवंबर 22
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