मंगलवार, 29 नवंबर 2022

    जन सेवा किशोर कुणाल (अवकाशप्राप्त 

    आई.पी.एस.)के स्वाभाव में है

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     सुरेंद्र किशोर-

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मैंने आज पत्नी से कहा कि 

कुणाल साहब के पुत्र की शादी के बाद का स्वागत-समारोह उसी वेटनरी काॅलेज के मैदान में होने जा रहा है,जहां कभी तुम्हारा स्कूल हुआ करता था।

पत्नी ने देर किए बिना कह दिया,

‘‘आपको वहां जरूर जाना चाहिए।’’

मैंने कहा कि तुम जानती हो कि मैं अभी अस्वस्थ हूं ।

 कहीं जा नहीं जा रहा हूं।फिर भी तुमने यह कैसे कह दिया !

उसने कहा--अरे हां !!

पर,उसका कारण उसने बताया।

नब्बे के दशक की बात है।

मेरी पत्नी हमारे एक रिश्तेदार मुखिया जी की पत्नी के साथ  बाबा धाम,देवघर गई थी।

लौटती में पटना रेलवे जंक्शन पर रात साढ़े नौ बज गए थे।

पत्नी ने बताया कि तब हमलोग मजिस्ट्रेट काॅलोनी में रहते थे।

उन दिनों पटना में रात-विरात चलने से लोग बचते थे।

 इसी सोच-विचार में मेरी पत्नी महावीर मंदिर की सीढ़ी पर बैठी हुई थी।

क्या किया जाए ?

स्टेशन प्लेटफार्म पर रुक जाया जाए,या आॅटो पकड़ा जाए ?

इसी बीच कुणाल साहब (यानी, किशोर कुणाल) वहां पहुंच गए।

उन्होंने दो महिलाओं को अकेला देखकर पूछा कि ‘‘आपलोग कहां से आई हैं और कहां जाना है ?’’

मेरी पत्नी ने कहा कि ‘‘हमलोग बाबा धाम से आ रहे हैं।

मजिस्ट्रेट काॅलोनी जाना है।’’

उसके बाद उसी सीढ़ी पर कुणाल साहब भी बगल में बैठ गए।

उन्होंने अपनी दोनांे तलहथियां सामने फैलाते हुए कहा कि प्रसाद दे दीजिए।

उन्हें प्रसाद दिया गया।

उसके बाद उन्होंने आॅटो रिक्शावाले को पास बुलाया।

कहा कि तुम अपना लाइसेंस मुझे दे दो।

उसने दे दिया।

कुणाल साहब ने कहा कि इन लोगों को मजिस्ट्रेट काॅलोनी पहुंचा कर यहां आ जाओ और अपना लाइसेंस मुझसे ले लेना।

आॅटो वाला जब पत्नी को लेकर गतव्य स्थान की ओर चला तो पूछा कि कुणाल साहब आपके कौन हैं ?

मेरी पत्नी ने कहा कि वे मेरे भाई हैं।

लगे हाथ यह भी बता दूं कि कुणाल साहब मुझे सन 1983 से ही जानते थे।

बाॅबी कांड को लेकर वे आम लोगों में भी लोकप्रिय हो चुके थे।

पर, जब महावीर मंदिर की सीढ़ी पर मेरी पत्नी से मुलाकात हुई तो मेरी पत्नी ने उन्हें मेरा नाम बता कर कोई परिचय नहीं दिया था।

कुणाल साहब ने भी महिलाओं से कोई परिचय नहीं पूछा।

बस वे यही समझ रहे थे कि रात में महिलाओं को रास्ते में कोई परेशानी न हो जाए,इसलिए ड्राइवर का लाइसेंस ले लेना जरूरी था।

याद रहे कि तब वहां कोई पे्रस संवाददाता भी मौजूद नहीं था जिसे वे अपना सेवा भाव का सबूत दे रहे थे।

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29 नवंबर 22


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