बुधवार, 30 नवंबर 2022

    वैद्य मेलबोर्न में

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     सुरेंद्र किशोर

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राॅयल कालेज आॅफ सर्जन, मेलबाॅर्न, आॅस्ट्रेलिया के परिसर में प्राचीन भारतीय शल्य चिकित्सक सुश्रुत की दिव्य मूर्ति आज भी विराजमान है।

ईसा से 800 साल पहले सुश्रुत का जन्म वाराणसी में हुआ था।

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इस तथ्य को लेकर यदि आपको शक हो तो गुगुल गुरु से पूछ लीजिएगा।

वहां सचित्र सबूत मौजूद है।

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जब इस देश के तक्षशिला और नालंदा विश्व विद्यालयों में दुनिया भर से छात्र आकर पढ़ते थे, कहते हैं कि यूरोप में तब अधिकतर लोग जंगलों में रहते थे।

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हमारी प्राचीन सभ्यता कैसी थी ?

उन सभ्यताओं को किन आक्रांताओं ने समय- समय पर नष्ट किया ?

किन स्वेदशी योद्धाओं ने बहादुरी से उनका भरसक मुकाबला किया ?

 किन आक्रांताओं ने यहां मेकाॅलेवाद लागू किया ?

इन सब के बारे में यदि नई पीढ़ी को पढाया जाए तो क्या उसे इतिहास को बदलना कहा जाएगा ?

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इंडोनेशिया की जल सेना का ध्येय 

वाक्य है--‘‘ जलेष्वेव जयामहे’’

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कोलंबो विश्वविद्यालय,श्रीलंका का ध्येय वाक्य है-

बुद्धिःसर्वत्र भ्राजते

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पुनश्चः-

न तो प्राचीन काल की सारी बातें अच्छी हैं और न सारी बातें गलत हैं।

अर्वाचीन की न तो सारी बातंे अच्छी हैं और न ही सारी

बातें गलत हैं।

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बल्कि, समय की शिला पर पटका-झटका खाकर जो

तथ्य खरे सोने की तरह उभरे-चमके हैं,वे ही सही हैं।

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30 नवंबर 22


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