अखिल भारतीय पीठासीन पदाधिकारी सम्मेलन ने विधान
सभा के स्पीकर धनिक लाल मंडल की सराहना की थी
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सुरेंद्र किशोर
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बात सन 1968 के प्रारंभ की है।
बिहार में महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार गिरने ही वाली थी।
तत्कालीन स्पीकर धनिक लाल मंडल ने अविश्वास प्रस्ताव
पर चर्चा की तारीख तय कर दी थी।
दल-बदल का खेल चल रहा था।
गैर कांग्रेसी सरकार के सत्ताधारी गठबंधन की ओर से 33 विधायकों ने दल बदल कर लिया था।
दलबदलुओं में सी.पी.आई.के विधायक से लेकर जनसंघ तक के विधायक शामिल थे।सर्वाधिक संख्या में संसोपा के विधायकों ने दल बदला था।(बाद की बी.पी.मंडल सरकार में सारे के सारे दलबदलू विधायक मंत्री बना दिए गए थे।)
महामाया प्रसाद सिन्हा के नेतृत्व वाली सत्ताधारी जमात यह चाहती थी कि स्पीकर साहब अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख थोड़ा आगे बढ़ा दें।
ताकि, विधायकों के ‘‘जुगाड’’़ के लिए उन्हें समय मिल जाए।
सत्ताधारी जमात को उम्मीद थी कि उससे सरकार बच सकती है।
धनिक लाल मंडल सन 1967 में फुलपरास से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे।
इसके बावजूद मंडल जी ने तारीख नहीं बढ़ाई।
नतीजतन महामाया सरकार समय से पहले गिर गई।
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इस राजनीतिक घटना के बाद जब पीठासीन पदाधिकारियों का अखिल भारतीय सम्मेलन हुआ तो सम्मेलन ने प्रस्ताव पास करके धनिक लाल मंडल के उपर्युक्त निर्णय की सराहना की।
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याद रहे कि 94 साल की उम्र में मंडल जी का कल निधन हो गया।
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14 नवंबर 22
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