सोमवार, 13 नवंबर 2017

नटवर लाल ः इसके जैसा ना कोई था,ना होगा


      
आज के ‘नटवर लालों’ से चाहे जो भी समानता  हो ,पर 
आज का कोई ‘नटवर लाल’ 84 साल की उम्र में हथियारबंद संतरियों को धोखा देकर तो फरार नहीं ही हो सकता !
 इस मामले में मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ नटवर लाल 
को ‘न भूतो न भविष्यति’ ही माना जा सकता है।
25 जून 1996 की बात है।दिल्ली रेलवे स्टेशन पर नटवर लाल कान पुर जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहा था।डाक्टरी जांच के लिए उसे कान पुर जेल से दिल्ली लाया  गया था।
उसके साथ दो संतरी और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे।
लाचार नटवर लाल को बेंच पर लिटाकर चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी व्हील चेयर  लौटाने चला गया। एक संतरी टिकट का प्रबंध करने गया।बचे संतरी को नटवरलाल ने चाय के लिए भेज दिया।
पर जब वह चाय लेकर लौटा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी।
  नटवर लाल तो फरार हो चुका था।
वह पहले भी कई बार फरार हो चुका था, पर इस फरारी के बाद वह पुलिस के हाथ कभी नहीं आया।
 जब नटवर लाल के एक करीबी रिश्तेदार के घर श्राद्ध हुआ तो मान लिया गया कि मिथिलेश श्रीवास्तव अब दुनिया में नहीं हैं।
 एक बार नटवर लाल ने कहा था कि जीरादेई ने दो राष्ट्रीय पुरूषों को जन्म दिया।
--डा.राजेंद्र प्रसाद और मुझे।वे राष्ट्रपति बने और मैं चतुर कलाकार !
पर लोग मुझे कलाकारी को ठगी का नाम देते हैं।
याद रहे कि जीरादेई बिहार के अविभाजित सारण जिले में है।
अब वह सिवान जिले में है।हालांकि यह संयोग ही है कि उसी जीरादेई विधान सभा क्षेत्र से  राजद नेता और चर्चित मो.शहाबुद्दीन पहली बार विधायक बने थे।अब वे तिहाड़ जेल में हैं।
 ‘दुनिया का कोई जेल गब्बर सिंह को अधिक दिनों तक बंद नहीं रख सकता।’ शोले में गब्बर सिंह ने तो यह डायलाॅग बाद में बोला ।किंतु नटवर लाल तो उससे पहले यह कहा करता था कि कोई भी जेल मुझे एक साल से अधिक समय तक नहीं रख सकता।वह आठ या नौ बार फरार हो चुका  था।
पहली बार 1957 में वह लखनउ जेल से और दूसरी बार 1963 में आंध्र प्रदेश के जेल से फरार हुआ था।
अपने पूरे ‘नटवरी जीवन’ में वह करीब 400 लोगों को ठगा था।उसने लगभग 3 करेाड़ रुपए की ठगी की।
विभिन्न राज्यों की अदालतों ने उसे कुल मिलाकर करीब 150
साल की सजा दी थी।
 वह कहा करता था कि मैंने कभी गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों को नहीं ठगा।बड़े लोगों को ठगा और गरीबों के साथ मिल बांट कर खाया।
उसने दो तीन लोगों से अधिक  कभी अपने गिरोह में शामिल नहीं किया।
 एक बार वह नई दिल्ली के एक आभूषण बिक्रेता के यहां गया और खुद को नारायण दत्त तिवारी काव निजी सहायक बताया।
उसने दुकानदार का विश्वास जीत लिया और एक लाख 60 हजार रुपए के जेवर लेकर फरार हो गया।
 रेलवे में राजस्व कलक्टर रघुनाथ प्रसाद श्रीवास्तव को बेटा 
नटवर लाल पढ़ा लिखा था।अंग्रेजी बोलता था और किसी के हस्ताक्षर की हू ब बहू नकल कर लेता था।
पचास-साठ के दशकों में बिहार के गांवों में यह चर्चा थी कि नटवर लाल ने केंद्र सरकार
से कह रखा है  कि यदि वह अनुमति दे तो वह भारत सरकार का सारा कर्ज भुगतान करवा देगा।
उसे लगता था कि वह किसी भी कर्जदार देश के संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर की नकल करके  यह काम कर सकता है।
 वह फर्जी बिल्टियों द्वारा रेलवे से माल छुड़वा कर बेचता था।
चूंकि उसके पिता रेलव में थे,इसलिए वह वहां के काम का जानकार हो गया था।
उसने ठगी की शुरूआत वाराणसी से की थी।
वह एक सेठ के यहां उसके बच्चे को ट्यूशन पढ़ाने के लिए रखा गया था।
चर्चा है कि नटवर लाल ने अपनी बीमार बेटी के इलाज के लिए सेठ जी से एडवांस मांगा।नहीं मिला।बेटी मर गयी।उसने अमीरों को लूटने का मन बना लिया।
 1980 की बात है।लखनउ की एक अदालत ने उसे पांच साल की सजा दी थी।
सजा सुनाने के बाद जज साहब ने नटवर लाल से पूछा कि तुम यह सब कैसे करते हो ?
नटवर ने कहा कि ‘आप हुजूर, एक रुपए का नोट अपनी जेब  से निकाल कर देंगे ?’
जज साहब ने नोट उसकी तरफ बढ़ा दिया।
नटवर ने उस नोट को अपनी जेब में रखा और मुस्कराते हुए कहा कि ‘ठीक इसी तरह !’
जज साहब देखते रह गए और नटवर सिपाहियों के साथ कोर्ट रूम से बाहर निकल गया।
 नटवर लाल के बारे में एक  दिलचस्प किस्सा है।
उन दिनों भी वह एक  जेल में था।उसकी पत्नी  उसे अक्सर पत्र लिखती थी।चिट्ठियांे में कोई न कोई शिकयत रहती थी।पत्र सेंसर होकर नटवर लाल को मिलता था।एक दिन जेलर ने पूछा कि तुम जवाब क्यों नहीं देते ?अपनी पत्नी को नटवर ने जवाब में लिखा कि तुम परेशान मत हो।खेत के बीच में जहां मेड़ बनी है,मैंने वहां कुछ सोना गाड़ रखा है।एक हाथ मिट्ठी खोदने पर तुम्हंे एक पोटली मिलेगी।सारा सोना मत बेचना।जेल से छूटते ही मैं तुमसे मिलूंगा।
उधर खेत में सोना गड़े होने की खबर सुनकर पुलिस का एक दस्ता उसके गांव रवाना हो गया।जेल पुलिस ने चिट्ठी नहीं भेजी।पुलिस ने खुद जाकर सोने की तलाश में सारी जमीन की जुतवाई-खुदाई करवा दी।
 न कुछ मिलना था और न मिला।कुछ महीने बाद नटवर की पत्नी जेल में मिलने आई और उसने जेलर को यह कहते हुए धन्यवाद दिया कि मेरे खेत काफी दिनों ंसे खाली पड़े थे ,कोई जोतने वाला नहीं था।
आपकी मेहरबानी से इस बार अच्छी फसल हुई है। 
--सुरेंद्र किशोर।
@ 13 नवंबर, 2017 को फस्र्टपोस्ट हिंदी में प्रकाशित@     
   

  

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