शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

  पटना के पास गंगा नदी पर रेल सह सड़क पुल बनाने का एक उद्देश्य यह भी रहा है कि इससे इस प्रादेशिक राजधानी  पर आबादी का दबाव कुछ घटेगा।यानी, गंगा पार के जिलों के मूल निवासी अपने ही  घर में रह कर पटना रोज आ -जाकर नौकरी कर सकेंगे। उससे पटना  पर आबादी का बोझ कम होगा।आबादी का कम बोझ यानी बनते महा नगर में कम प्रदूषण।
 पर इस दिशा में अभी अधूरी कोशिश ही हो रही है।
पटना से सारण  के बीच सिर्फ एक जोड़ी ही पैसेंजर ट्रेन उपलब्ध है।
यदि आॅफिस आने -जाने के लिए सिवान और पटना के राजेंद्र नगर स्टेशनों के बीच एक जोड़ी पैसेंजर ट्रेन चलाई जाए तो कुछ कर्मचारी पटना में अपना निजी मकान बनाने के बदले अपने मूल निवास में ही बने रह सकते हैं।
इन दिनों दिल्ली में गैस चैंबर जैसे हालात हैं।यदि हम प्रदूषण की समस्या के प्रति लापारवाह रहे तो वैसी स्थिति पटना में
भी आ जाने में देर नहीं लगेगी ।
हाल के वर्षों में मध्य पटना में कई बड़े निर्माण हुए हैं।बुद्ध स्मृति पार्क, कन्वेंशन सेंटर और  बिहार म्युजियम।ये भीड़ बढ़ाने वाले स्थल हैं।अधिक भीड़ यानी अधिक गाडि़यां और अधिक प्रदूषण।इनका निर्माण नगर से बाहर होना चाहिए था।पर, खैर अब तो हो गया।
पर इस तरह का कोई अगला निर्माण मध्य पटना में होगा तो वह इस महा नगर को गैस चैंबर बनाने में ही मददगार होगा।  
@ कानोंकान-प्रभात खबर  से @

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