मंगलवार, 14 नवंबर 2017

शालीन हंसी और चुटीले व्यंग्यों से संसद को जीवंत बनाये रखते थे पीलू




बात उस समय की है जब पीलू मोदी भारतीय लोक दल में थे।संभवतः वे दल के राष्ट्रीय महा सचिव थे।उसके नेता चैधरी चरण सिंह थे और बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री कर्पूरी ठाकुर भी उसी दल में थे।
 पीलू मोदी पटना आए थे।भालोद के राज्य कार्यालय में मोदी एक आराम कुर्सी पर बैठे थे।
  बगल की एक कुर्सी पर बैठकर कर्पूरी ठाकुर उनसे बातचीत कर रहे थे।
  कर्पूरी जी ने कहा कि ‘मोदी साहब, यदि आप बिहार पार्टी के लिए एक हेलिकाॅप्टर का प्रबंध कर दें तो हम विधान सभा की आधी सीटें जीत जाएंगे।’
  इस पर बिना देर किए मोदी ने कहा कि ‘दो का प्रबंध कर देता हूं।पूरी सीटें जीत जाओ।अरे भई, चुनाव हेलिकाॅप्टर से नहीं जीते जाते।’
  हंसी में बात आई -गई हो गयी।
देर तक पास में बैठ कर मैं उन दोनों दिग्गजों की बातें सुनता रहा था।
उस संवाद के जरिए  मुझ पर पीलू मोदी ने एक छाप छोड़ दी।
 उनके बारे में अधिक जानने की कोशिश करने लगा।जाना भी। उनके साथ सबसे बड़ी बात यह थी कि वे सदाबहार व्यक्तित्व के धनी थे।
उनके समकालीन पत्रकार शरद द्विवेदी ने उनके बारे में लिखा है कि ‘पीलू मोदी की भाषण कला,अंग्रेजी भाषा पर अद्वितीय अधिकार, वाक् पटुता और सुलझे हुए विचार सभी को आकर्षित करते थे।कटाक्ष करने में वह माहिर थे।उनके कटाक्ष और हाजिरजवाबी सुनने वालों को हंसा देते थे।जिसकी भाषा ऐसी होती थी कि कटाक्ष के शिकार भी उनका आनंद लेते थे।
लेकिन कभी किसी के लिए बुरी भावना उनके मन में नहीं थी।
पत्रकार सी.एस.पंडित के अनुसार ‘ उस घटना को शायद ही कोई भूल सकता है जब एक दिन संसद के केंद्रीय हाल में पीलू मोदी अपने गले में एक पट्टा पहन कर आए जिस पर लिखा था ‘ मैं सी.आई.ए.का एजेंट हूं।’ यह उस आलोचना का जवाब था जो संसद में कुछ दिन पहले सत्तारूढ़ दल की ओर से की गयी थी।
  पीलू मोदी, सर होमी मोदी के पुत्र थे जो संयुक्त प्रांत के गवर्नर रह चुके थे।
पीलू मोदी के भाई रूसी मोदी टिस्को के चेयरमैन थे।
पीलू ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में वास्तु शिल्प की पढ़ाई की थी।
वहां पीलू मोदी जुल्फिकार अली भुट्टो के रूम मेट थे।
पीलू की एक चर्चित किताब है ‘जुुल्फी माई फं्रेंड।’ वह 1973 में लिखी गयी।
  14 नवंबर 1926 को जन्मे पीलू मोदी का 29 जनवरी 1983 को निधन हो गया।तब वे राज्य सभा के सदस्य थे।
उससे पहले पीलू मोदी 1967 और 1971 में गोधरा से लोक सभा के लिए चुने गए थे।पर वे 1977 में हार गए थे।
1960 में स्थापित स्वतंत्र पार्टी के संस्थापकों में एक पीलू मोदी राज गोपालाचारी के करीबी थे।
  कम ही लोग जानते हैं कि दिल्ली के ओबराय होटल की वास्तु रचना पीलू मोदी ने ही की थी।
 पर वे देश में जिस नयी राजनीति की रचना करना चाहते थे,वह काम वे पूरा नहीं कर सके।
 वे कहा करते थे कि इस देश के 50 हजार बदमाश विभिन्न तरह की ताकत की कुर्सियों पर बैठ कर अपनी स्वार्थ सिद्धि कर रहे हैं।
उनको सबक सिखाने  के लिए हम 5 लाख युवक -युवतियों की फौज बनाना चाहते हैं।
इस सिलसिलमें वे करीब डेढ़ लाख नाम एकत्र भी कर चुके थे।पर इस बीच उनका निधन हो गया।
  यानी सदाबहार व्यक्तित्व के स्वामी पीलू लोगों को हंसाने के अलावा गंभीर काम में भी लगे रहते थे।वे एक पत्रिका भी निकालते थे। 
 वे बाहर -भीतर से एक थे।
एक बार उन्हें जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का
प्रयास कुछ लोगों ने किया था।पर उस राह में शराब बाधक बन गयी।जनता पार्टी से जुड़े किसी बड़े गांधीवादी नेता ने मोदी से पूछवाया कि क्या आप शराब भी पीते हैं ? पीलू ने बिना देर किए कह दिया हां, अवश्य पीता हंू, ।इसी आधार पर उनका नाम कट गया।पर उन्हें इसकी कोई चिंता नहीं थी।
 इस संबंध में पीलू के एक समकालीन सांसद ने लिखा है कि हम सब जानते हैं कि पीलू का पीना महीने में एकाध बार ही होता है।फिर भी पीलू ने कह दिया था कि ‘मैं जो खाउं, जो पीउ, वह मेरा अधिकार है।इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं मानूंगा।’
 चैथी लोक सभा में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के डा.राम मनोहर लोहिया ने लोक सभा में एक निजी विधेयक पेश किया था।लोहिया का प्रस्ताव था कि किसी भी व्यक्ति का खर्च प्रति माह 15 सौ रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए।
स्वतंत्र पार्टी के एक सांसद ने उस विधेयक का सदन में मजाक उड़ाया।
सांसद का कहना था कि लोहिया का मजाक उड़ाने का निदेश उनकी पार्टी ने दिया था।
 पर पीलू मोदी ने इसे लोहिया का अपमान माना।उस संासद को लेकर पीलू लोहिया के आवास पर गए।
सांसद ने लोहिया के सामने अपने किए पर अफसोस प्रकट किया।
लोहिया ने उस सांसद से कहा कि  ‘तुमने तो यह  असंभव मांग कर दी कि मैं लोगों की मनोवृत्ति बदलूं। अरे भई, मैं संन्यासी तो हूं नहीं।राजनीति का खिलाड़ी हूं।’   
 @ मेरा यह लेख 14 नवंबर, 2017 के फस्र्टपोस्ट हिंदी में प्रकाशित@ 


   

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