गुरुवार, 23 नवंबर 2017

 आत्म हत्याओं के संदर्भ में किशोर कुणाल ने ठीक ही कहा है कि ‘कुछ लोग परेशानियों से जुझने के बजाए हार मानना पसंद करते हैं।कह सकते हैं कि कुछ लोगों में आत्म हत्या करने की मनोवैज्ञानिक प्रवृति होती है।
जीवन में आने वाली मुसीबतों का निर्भीकता से सामना करना चाहिए।
मानसिक परेशानी हो तो मित्रों से बात कीजिए।’
@पटना  जागरण सिटी - 22 नवंबर 2017@
मुझे लगता है कि कुणाल जी जैसे जिनके मित्र हों, वे तो ऐसी स्थिति से बचा लिए जा सकते हैं।पर आम लोगों के बीच के जो लोग ऐसी परेशानियों से जूझ रहे हों,उनके लिए कोई संस्थागत उपाय होना चाहिए।
 कुणाल जी ने समाज सेवा के क्षेत्र में जितना काम किया है,वह एक मिसाल हैं।
उन्हें इस क्षेत्र में भी कदम बढ़ाना चाहिए।
उनके नेतृत्व में एक ऐसी परामर्श दात्री समिति बननी चाहिए जो आत्म हत्या के कगार पर खड़े लोगों को सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सके।  

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