ब्रज नंदन जी नहीं रहे।यह सुन कर झटका लगा।
क्योंकि मुझे तो ऐसी उम्मीद कत्तई नहीं थी।
वे पत्रकारिता में अंतिम समय तक सक्रिय रहे ।
उन्होंने अपनी सक्रिय पत्रकारिता की लगभग आधी सदी से भी अधिक की अवधि पूरी की।
उन्होंने जवाहर लाल नेहरू से लेकर बाद के लगभग
सभी प्रधान मंत्रियों को ‘कवर’ किया।
बहुत पहले मैंने उनके आवास पर जवाहर लाल जी के साथ ब्रज नंदन जी का फोटो देखा था।
पूछा तो उन्होंने बताया कि यह फोटो रांची हवाई अड्डे का है।
तब रांची के किसी प्रकाशन के लिए ब्रज नंदन जी काम कर रहे थे।
करीब दस साल तक राजनीति में सक्रिय रहने के बाद जब मैं पत्रकारिता में आया, तब तक ब्रजनंदन जी पटना के प्रमुख पत्रकार बन चुके थे। उन दिनों वे समाचार एजेंसी हिंन्दुस्तान समाचार में काम करते थे।
मैंने उन्हें हमेशा स्नेहिल पाया।
संभवतः वे पहले पत्रकार थे जिनके पास स्कूटर था।
मेरे पास तो तब साइकिल भी नहीं थी।उनके स्कूटर पर सवार होकर मुझे कई बार प्रेस कांफ्रेंस में जाने का मौका मिला।मैंने 1977 में दैनिक ‘आज’ से मुख्य धारा की पत्रकारिता शुरू की थी।
तब संवाददाताओं को फ्रेजर रोड और बुद्ध मार्ग से सचिवालय या मंत्रियों के आवास पर ले जाने के लिए सरकारी एम्बेसडर गाडि़यां आती थीं।
पर, ब्रज नंदन जी और टाइम्स आॅफ इंडिया के संवाददाता अपने वाहन से जाते थे।
टाइम्स आॅफ इंडिया के जितेंद्र सिंह के अलावा पेट्रियट के संवाददाता चंद्र मोहन मिश्र के पास भी कार थी। किसी अन्य पत्रकार के पास उस समय निजी कार या स्कूटर थी या नहीं, मुझे याद नहीं।
पर तब हम कुछ पत्रकार यह सोचते थे कि काश ! हमारे पास भी होती तो खबरें एकत्र करने में अधिक सुविधा होती।
ब्रजनंदन जी हमेशा समय से पहले संवाददाता संम्मेलनों या अन्य कार्यक्रमों में पहुंच जाते थे।
संवाददाता सम्मेलनों में वे अक्सर आगे की सीट पर बैठते थे।सवाल जरूर पूछते थे।
ऐसे सवाल पूछते थे जिनसे अक्सर खबर बन जाती थी।आंकड़ों के प्रति उनका विशेष आग्रह रहता था।
गरिमायुक्त व्यक्तित्व के धनी ब्रज नंदन जी को मैंने कभी किसी की निंदा करते नहीं सुना ।
हिन्दुस्तान समाचार और आर्यावत्र्त होते हुए जब उन्होंने दैनिक आज ज्वाइन किया तो उनके समकालीन पत्रकारों को आश्चर्य हुआ कि आखिर वे कितने दिनों तक काम करेंगे ?
पर वे तो कर्मयोगी थे।अंत तक काम ही करते रहे।उन्होंने एक सार्थक जीवन जिया।
क्योंकि मुझे तो ऐसी उम्मीद कत्तई नहीं थी।
वे पत्रकारिता में अंतिम समय तक सक्रिय रहे ।
उन्होंने अपनी सक्रिय पत्रकारिता की लगभग आधी सदी से भी अधिक की अवधि पूरी की।
उन्होंने जवाहर लाल नेहरू से लेकर बाद के लगभग
सभी प्रधान मंत्रियों को ‘कवर’ किया।
बहुत पहले मैंने उनके आवास पर जवाहर लाल जी के साथ ब्रज नंदन जी का फोटो देखा था।
पूछा तो उन्होंने बताया कि यह फोटो रांची हवाई अड्डे का है।
तब रांची के किसी प्रकाशन के लिए ब्रज नंदन जी काम कर रहे थे।
करीब दस साल तक राजनीति में सक्रिय रहने के बाद जब मैं पत्रकारिता में आया, तब तक ब्रजनंदन जी पटना के प्रमुख पत्रकार बन चुके थे। उन दिनों वे समाचार एजेंसी हिंन्दुस्तान समाचार में काम करते थे।
मैंने उन्हें हमेशा स्नेहिल पाया।
संभवतः वे पहले पत्रकार थे जिनके पास स्कूटर था।
मेरे पास तो तब साइकिल भी नहीं थी।उनके स्कूटर पर सवार होकर मुझे कई बार प्रेस कांफ्रेंस में जाने का मौका मिला।मैंने 1977 में दैनिक ‘आज’ से मुख्य धारा की पत्रकारिता शुरू की थी।
तब संवाददाताओं को फ्रेजर रोड और बुद्ध मार्ग से सचिवालय या मंत्रियों के आवास पर ले जाने के लिए सरकारी एम्बेसडर गाडि़यां आती थीं।
पर, ब्रज नंदन जी और टाइम्स आॅफ इंडिया के संवाददाता अपने वाहन से जाते थे।
टाइम्स आॅफ इंडिया के जितेंद्र सिंह के अलावा पेट्रियट के संवाददाता चंद्र मोहन मिश्र के पास भी कार थी। किसी अन्य पत्रकार के पास उस समय निजी कार या स्कूटर थी या नहीं, मुझे याद नहीं।
पर तब हम कुछ पत्रकार यह सोचते थे कि काश ! हमारे पास भी होती तो खबरें एकत्र करने में अधिक सुविधा होती।
ब्रजनंदन जी हमेशा समय से पहले संवाददाता संम्मेलनों या अन्य कार्यक्रमों में पहुंच जाते थे।
संवाददाता सम्मेलनों में वे अक्सर आगे की सीट पर बैठते थे।सवाल जरूर पूछते थे।
ऐसे सवाल पूछते थे जिनसे अक्सर खबर बन जाती थी।आंकड़ों के प्रति उनका विशेष आग्रह रहता था।
गरिमायुक्त व्यक्तित्व के धनी ब्रज नंदन जी को मैंने कभी किसी की निंदा करते नहीं सुना ।
हिन्दुस्तान समाचार और आर्यावत्र्त होते हुए जब उन्होंने दैनिक आज ज्वाइन किया तो उनके समकालीन पत्रकारों को आश्चर्य हुआ कि आखिर वे कितने दिनों तक काम करेंगे ?
पर वे तो कर्मयोगी थे।अंत तक काम ही करते रहे।उन्होंने एक सार्थक जीवन जिया।
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