विश्व खाद्य भारत - 2017 सम्मेलन एवं प्रदर्शनी में
11 अरब डालर के सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद जताते हुए संबंधित केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कल कहा कि इस देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योेग के क्षेत्र में बेहतर निवेश की संभावना है।
यह अच्छी बात है कि हमारे शासकों का ध्यान कृषि की ओर जा रहा है।
पर अब भी इस मामले में सरकार के मौजूदा प्रयास नाकाफी है।
इस देश में करीब 70 प्रतिशत लोग खेती पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से निर्भर हैं।
आजादी के तत्काल बाद ही सरकार को चाहिए था कि वह
किसानों की आय तत्काल बढ़ा देने के उपाय पहले करती।
उससे होता यह कि अधिकांश आबादी की क्रय -शक्ति बढ़ जा़ती।
उनकी आय बढ़ती तो वे कारखानों के उत्पाद को खरीदने लायक बनते।
पर ऐसा नहीं हुआ।
पर कोई बात नहीं। देर आए, दुरूस्त आए।यह अच्छी बात है कि अब सरकार का ध्यान जा रहा है।
पर, इस मामले में मोदी सरकार का प्रयास अधूरा ही लग रहा है।यदि आज से भी पूरे देश में युद्ध स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विकास होने लगे तो किसानों की आय बढ़ेगी।क्योंकि तब खेती घाटे का सौदा नहीं रह जाएगी।फिर तो अन्य तरह के कारखानों की संख्या भी खुद ब खुद बढ़ती जाएगी।
11 अरब डालर के सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद जताते हुए संबंधित केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कल कहा कि इस देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योेग के क्षेत्र में बेहतर निवेश की संभावना है।
यह अच्छी बात है कि हमारे शासकों का ध्यान कृषि की ओर जा रहा है।
पर अब भी इस मामले में सरकार के मौजूदा प्रयास नाकाफी है।
इस देश में करीब 70 प्रतिशत लोग खेती पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से निर्भर हैं।
आजादी के तत्काल बाद ही सरकार को चाहिए था कि वह
किसानों की आय तत्काल बढ़ा देने के उपाय पहले करती।
उससे होता यह कि अधिकांश आबादी की क्रय -शक्ति बढ़ जा़ती।
उनकी आय बढ़ती तो वे कारखानों के उत्पाद को खरीदने लायक बनते।
पर ऐसा नहीं हुआ।
पर कोई बात नहीं। देर आए, दुरूस्त आए।यह अच्छी बात है कि अब सरकार का ध्यान जा रहा है।
पर, इस मामले में मोदी सरकार का प्रयास अधूरा ही लग रहा है।यदि आज से भी पूरे देश में युद्ध स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विकास होने लगे तो किसानों की आय बढ़ेगी।क्योंकि तब खेती घाटे का सौदा नहीं रह जाएगी।फिर तो अन्य तरह के कारखानों की संख्या भी खुद ब खुद बढ़ती जाएगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें