शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

दैनिक ‘आज’ के संस्थापक शिवप्रसाद गुप्त 
की पुण्य तिथि-24 अप्रैल-पर दो बातें
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सन् 1977 के प्रारंभ में मैंने ‘आज’ अखबार 
के पटना ब्यूरो में नौकरी शुरू की थी।
उस संस्थान में 1983 तक रहा।
इस बीच ‘आज’ और उसके संस्थापक व पूर्व संपादकों के बारे में मैंने कई प्रेरणादायक संस्मरण अपने वरीय संपादकों से सुने।
 1.-महात्मा गांधी की प्रेरणा से शिवप्रसाद गुप्त ने वाराणसी से दैनिक आज अखबार का प्रकाशन शुरू किया था।
उसके सर्वाधिक प्रतिष्ठित व चर्चित संपादक थे--बाबूराव विष्णु पराड़कर।
2.-‘आज’ अखबार के मालिक किसी भी समय संपादक के कमरे में नहीं चले जाते थे।
किसी को भेज कर पहले पता लगवाते थे कि 
‘‘जरा देख लो कि पंडित जी व्यस्त तो नहीं हैं।’’
  3.-शिवप्रसाद गुप्त वाराणसी के आधा दर्जन सर्वाधिक धनी हस्तियों में एक थे।
वे कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भी थे।तब कांग्रेस का मुख्यालय इलाहाबाद में था।
‘आज’ में कभी -कभी कांग्रेस के खिलाफ भी छप जाता था।
मैंने सुना था कि गुप्त जी कभी आलोचना करने से संपादक को रोकते नहीं थे।
हां, आलोचना वाले मामले में कांग्रेस के पक्ष को संपादक के नाम पत्र काॅलम में जरुर
जगह मिल जाती थी।
4.-तब ‘आज’ अखबार पढ़कर लोग अपनी हिन्दी सुधारते थे।
5.-भाषण देने के आमंत्रण को पराड़कर जी स्वीकार नहीं करते थे।
कह देते थे कि मैंने संपादकीय आज लिखा है,उसे सभा में पढ़कर सुना दीजिएगा।
जाहिर है कि आज की संपादकीय स्वतंत्रता अखबार के मालिक शिव प्रसाद गुप्त की देन थी।
उस स्वतंत्रता का तब के संपादक दुरुपयोग भी नहीं करते थे।
6.-अस्सी के दशक में राजेंद्र माथुर ने कहा था कि किसी संपादक की स्वतंत्रता उतनी ही है जितनी कोई अखबार मालिक अपने संपादक को देता है।
पर जितनी स्वतंत्रता देता है,उसका यदि सदुपयोग हो तो वह भी पर्याप्त है।
जो बात माथुर साहब ने नहीं कही,उसे मैंने महसूस किया कि जब कुछ संपादक उस स्वतंत्रता का सदुपयोग नहीं करने लगे तो बाद के वर्षों में कुछ मालिकों ने अपने ‘‘हाथ खींच’’ लिए।
  यानी, मैं ही क्यों नहीं ???!!!!
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 --सुरेंद्र किशोर-24 अप्रैल 20


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