मोरारजी देसाई की पुण्य तिथि के अवसर पर
-सुरेंद्र किशोर-
इस अवसर पर भूदान नेता विनोबा भावे और मोरारजी देसाई
के बीच 1955 में हुए संवाद को एक बार फिर पढ़ना दिलचस्प व
शिक्षाप्रद होगा।
विनोबाजी--पैदल चलने वालों की आयु बढ़ जाती है।
मोरारजी --किसी की आयु बढ़ने की बात मैं नहीं मानता।
विनोबाजी--मैं कई बार विनोद में कहता हूं कि जो चलता रहता है,
उसे यमराज पीछे से आकर पकड़ नहीं सकते।
मोरारजी--मैं तो यह मानता हूं कि जिसकी आयु मर्यादा जितनी निश्चित होती है,उससे एक क्षण भी अधिक वह जीवित नहीं रह सकता।
विनोबाजी--मेरी मां ने कहा था कि प्रत्येक के लिए यह निश्चित होता है कि वह अपने जीवन में कितनी बार भोजन करेगा।
अतः दो वक्त के बजाय रोज एक वक्त हम खाना खाएं तो जीवनकाल दुगुना हो जाता है।
मोरारजी--जो संयम बिना समझे किया जाए,वह टिकता नहीं।
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--कानोंकान,प्रभात खबर,पटना, 10 अप्रैल 202
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