रज्जू बाबू की पुण्यतिथि -9 अप्रैल-पर
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मुख्य धारा की हिन्दी पत्रकारिता
में राजेंद्र माथुर का नाम अत्यंत सम्मान
के साथ लिया जाता है।
वे अजातशत्रु थे।
जहां तक मैंने उन्हें समझा था,
वह संतुलित मन -मिजाज के थे।
उनके लेखन में नवीनता और ताजगी रहती थी।
देशहित में जो उचित समझते थे,वही लिखते थे।
अन्य किसी बात का उन पर कोई असर नहीं होता था।
उनकी एक ही उक्ति यहां पेश करना चाहूंगा जो आज
भी सर्वाधिक प्रासंगिक है।
व्यक्तिगत बातचीत में 1983 में उन्होंने मुझसे कहा था कि
‘‘इंदिरा जी के खिलाफ जितनी भी कड़ी खबर लाइए,मैं उसे जरुर छापूंगा।
पर इंदिरा जी में कई खूबियां भी हैं।
मैं उन खूबियों को भी छापूंगा।’’
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मुख्य धारा की हिन्दी पत्रकारिता
में राजेंद्र माथुर का नाम अत्यंत सम्मान
के साथ लिया जाता है।
वे अजातशत्रु थे।
जहां तक मैंने उन्हें समझा था,
वह संतुलित मन -मिजाज के थे।
उनके लेखन में नवीनता और ताजगी रहती थी।
देशहित में जो उचित समझते थे,वही लिखते थे।
अन्य किसी बात का उन पर कोई असर नहीं होता था।
उनकी एक ही उक्ति यहां पेश करना चाहूंगा जो आज
भी सर्वाधिक प्रासंगिक है।
व्यक्तिगत बातचीत में 1983 में उन्होंने मुझसे कहा था कि
‘‘इंदिरा जी के खिलाफ जितनी भी कड़ी खबर लाइए,मैं उसे जरुर छापूंगा।
पर इंदिरा जी में कई खूबियां भी हैं।
मैं उन खूबियों को भी छापूंगा।’’
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