स्वास्थ्य और सुरक्षा की संरचनाओं को मजबूत बनाने की जरुरत-सुरेंद्र किशोर
कोरोना महामारी ने विकसित देशों की स्वास्थ्य संबधित बुनियादी संरचनाओं को भी नाकाफी साबित कर दिया है।
पर, हमारे यहां कोरोना का प्रकोप अपेक्षाकृत अब तक कम रहा है।
फिर भी हमारी कमियां भी उभर सामने आ गईं हैं।
स्वास्थ्य कर्मियों के मामले में और प्रशासन तथा सुरक्षा तंत्र के मामले में भी।
लाॅकडाउन को आखिरी दिन तक सख्ती से लागू करने का आदेश था।
पर उसे लागू करवाने वाला तंत्र जहां तहां नाकाफी साबित हुआ।
ये कमियां मौजूदा सरकार को विरासत में मिली हैं।
वैसे कतिपय विघ्नसंतोषियों को छोड़कर आम लोग इन कमियों
को भरसक नजरअंदाज ही कर रहे हैं।
पर, ऐसी किसी अगली विपत्ति से पहले इन कमियों को दूर कर लेना होगा।
यदि इस सिलसिले में साधन जुटाने के लिए सरकार को कोरोना टैक्स भी लगाना पड़े तो कम ही लोग उसे अन्यथा लेंगे।
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पूर्व चेतावनी को किया
गया था नजरअंदाज
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माइक्रोसाॅफ्ट कारपोरेशन के संस्थापक बिल गेट्स ने
2014 में ही महामारी के खतरों से आगाह किया था।
उन्होंने यह चेतावनी दी थी कि इबोला के संक्रमण से तो दुनिया बच गई थी, लेकिन भविष्य में यदि ऐसा या इससे भी खतरनाक वायरस हमला करता है तो हम उस परिस्थिति के लिए तैयार नहीं हैं।
बिल गेट्स ने हाल में भी एक और चेतावनी दी है।उनके अनुसार
मनुष्य के प्रकृति से लड़ने का यह कुपरिणाम है।
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इतिहास दुहराने को अभिशप्त
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जो व्यक्ति,समाज या देश अपने इतिहास से शिक्षा ग्रहण नहीं करता,
वह उसे दुहराने को अभिशप्त होता है।
इस देश के साथ यह कई बार हुआ है।
ताजा खबर के अनुसार दिल्ली पुलिस की क्राइम शाखा तब्लीगी जमात को हवाला के जरिए मिले पैसों के आरोप की पड़ताल कर रही है।
इससे पहले यह खबर भी आई थी कि पाॅपुलर फं्रट आॅफ इंडिया को हवाला के जरिए बाहर से पैसे मिलते हैं।
एक स्टिंग आपरेशन के जरिए यह बात सामने आई थी।
ऐसे अनेक आरोप समय -समय बाहर आते रहते हैं जिसमें यह कहा जाता है कि इस देश को नुकसान पहुंचाने के लिए बाहर से पैसे आ रहे हैं।
इसी तरह का बल्कि अधिक चर्चित हवाला कांड नब्बे के दश्क में सामने आया था।
जो हवाला कारोबारी कश्मीरी आतंकियों तक पैसे पहुंचाता था,उसीसे इस देश के 55 प्रमुख नेताओं को हवाला के पैसे मिले थे।
केस चला ,पर उन्हें कुछ नहीं हुआ।
इससे हवाला कारोबारियों व देश विरोधी तत्वों का मनोबल बढ़ गया।
उस हवाला केस में आरोपितों को सजा हो गई होती तो बाद के हवाला कारोबारियों पर लगाम लग सकती थी।
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भूली-बिसरी याद
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10 अप्रैल पूर्व प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई की पुण्य तिथि है।
इस अवसर पर भूदान नेता विनोबा भावे और मोरारजी देसाई
के बीच 1955 में हुए संवाद को एक बार फिर पढ़ना दिलचस्प व शिक्षाप्रद होगा।
विनोबाजी--पैदल चलने वालों की आयु बढ़ जाती है।
मोरारजी --किसी की आयु बढ़ने की बात मैं नहीं मानता।
विनोबाजी--मैं कई बार विनोद में कहता हूं कि जो चलता रहता है,
उसे यमराज पीछे से आकर पकड़ नहीं सकते।
मोरारजी--मैं तो यह मानता हूं कि जिसकी आयु मर्यादा जितनी निश्चित होती है,उससे एक क्षण भी अधिक वह जीवित नहीं रह सकता।
विनोबाजी--मेरी मां ने कहा था कि प्रत्येक के लिए यह निश्चित होता है कि वह अपने जीवन में कितनी बार भोजन करेगा।
अतः दो वक्त के बजाय रोज एक वक्त हम खाना खाएं तो जीवनकाल दुगुना हो जाता है।
मोरारजी--जो संयम बिना समझे किया जाए,वह टिकता नहीं।
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जहां अधिक पिछड़ापन,
वहां हो अधिक विकास
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लाॅकडाउन के कारण इस राज्य के हजारों
लोग बाहर के राज्यों में फंसे रह गए।
उन्हें बिहार सरकार ने सहायता राशि जरुर भिजवाई।
पर,इस सिलसिले में पता चला कि किस जिले के कितने लोग
कहां फंसे हैं।
उससे यह भी पता चला कि किन जिलों के कम और किन जिलों के अधिक लोग रोजी-रोटी के लिए बिहार से बाहर जाते हैं।
इस मामले में सारण, मुजफ्फर पुर और मधुबनी का क्रमशः पहला,दूसरा और तीसरा स्थान है।
डबल इंजन की सरकार को चाहिए कि वह कोरोना से निपटने के बाद इन तीन जिलों पर प्रथामिकता के आधार पर ध्यान दे।
वहां विकास करे।
कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने से किसानों की क्रय शक्ति बढ़ेगी।
खरीदने की ताकत बढ़ने पर ही करखनिया सामग्री की भी बिक्री बढ़ेगी।तभी उद्योग को भी बढ़ावा मिल पाएगा।
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और अंत में
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कोरोना विपत्ति में भी अनेक लोग अनुशासन का पालन नहीं कर रहे हैं।
जबकि ,अनुशासन ही कोरोना संक्रमण से बचाव है।
जब विपत्ति में उनका यह हाल है तो सामान्य दिनों की कल्पना आप कर ही सकते हैं।लोगबाग देखते ही रहते हैं।
सी.बी.एस. ई. ने छठी से ग्यारहवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए कौशल विकास पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय किया है।
पाठ्यक्रम में एक बात और सिखाई जानी चाहिए ।वह यह कि घर से लेकर सड़कों तक और दफ्तरों से लेकर सार्वजनिक स्थानों तक में कैसा व्यवहार करने से देश का भला होगा।
साथ ही, कोरोना जैसी महामारी या इस तरह के अन्य अवसरों पर उससे किस तरह लोग लाभान्वित होंगे।
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10 अप्रैल 2020 के प्रभात खबर,पटना में प्रकाशित मेेरे काॅलम कानोंकान से।
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