बुधवार, 22 अप्रैल 2020


 जान की कीमत पर अनुशासन तोड़ने 
 में भला कैसी समझदारी !--सुरेंद्र किशोर
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 ये बातें सिर्फ उनके लिए हैं जो लोग जहां -तहां आए दिन लाॅकडाउन की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
ये बातें उनके लिए नहीं जो दूरदर्शी हैं और इसलिए अनुशासन में हैं।
  अरे नियम भंजक भाइयो ! अपने और अपने परिजन की जान की  कीमत पर लाॅकडाउन तोड़ने में भला कौन सी समझदारी है ?
सरकार और शासन से लड़ने के अनेक अवसर बाद में आपको मिल ही सकते हैं।
पर, अभी तो हम कोरोना वायरस नामक एक अदृश्य दुश्मन से लड़ रहे हैं।
पहले इसे तो पराजित करने में मदद कीजिए !
सबकी मदद मिलेगी तो मर्ज जल्दी भागेगा।
दूसरे प्रदेशों से रेलगाड़ियों में भर कर जल्द से जल्द क्यों अपने प्रदेश में
लौटना चाहते हैं ?
  यदि उस टे्रन में पांच व्यक्ति भी कोरोना संक्रमित होगा,तो उसका क्या नतीजा होगा ?
भयंकर नतीजा होगा।वे जहां-जहां जाएंगे,कोरोना वहां-वहां फैल जाएगा।
उससे पहले तो उस ट्रेन की लंबी यात्रा में ही महामारी  अपनी करामात दिखा चुकी होगी !  
उस आशंकित नतीजों की कल्पना तो कर लीजिए।
  इधर भी जहां -तहां भारी भीड़ जुटा कर क्यों बीमारी को फैलाना 
चाहते हैं ?
चिकित्सकों,पुलिस और चिकित्साकर्मियों  पर हमला करने से अंततः किसका नुकसान होगा ?
 यदि स्थिति ठीक रही तो बिहार के 38 जिलों में से 27 जिलों में 20 अप्रैल से लाकॅडाउन में ढील मिलने वाली है।
 यदि स्थिति को ठीक बनाए रखने में मदद नहीं कीजिएगा तो कैसे छूट मिल पाएगी ?
फिर उसका नुकसान किसे होगा ? 
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 कोरोना से मुक्ति के बाद की
 कालावधि को लेकर चिंता क्यों ?
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 कुछ अपवादों को छोड़कर इस देश-प्रदेश  के अधिकतर लोग 
कोरोना वायरस से संघर्ष में शासन का साथ दे रहे हैं।
  इसलिए देर-सवेर हमें कोरोना से मुक्ति मिलनी ही है।
अधिक अनुशासन रहेगा तो उससे अपेक्षाकृत जल्दी महामारी से मुक्ति मिलेगी।
पर, इस बीच यह महामारी हमारी बहुत सारी व्यवस्थाओं को उलट -पुलट कर रख दे सकती है ,ऐसी आशंका जाहिर की जा रही है।
  पर इस देश के लोगों में ऐसी इच्छाशक्ति मौजूद रही है जो उन व्यवस्थाओें को पटरी पर लाकर ही रहेगी।
इसलिए अभी से आशंकित बुरे दिनों की चिंता क्यों ?
  1994 का सूरत का प्लेग इसका एक नमूना है।
 प्लेग महामारी के फैलने से पहले सूरत की गिनती देश के गंदे 
नगरों में होती थी।
  प्लेग से तो सिर्फ 56 लोगों की जानें गई थीं ,पर एक हजार लोग रोगग्रस्त हो चुके थे।
  रोगग्रस्त लोगों की संख्या के अनुपात में वहां तब आतंक बहुत अधिक था।करीब दो लाख लोगों ने सूरत छोड़ दिया था।
  पर प्लेग थमने के बाद शुरू हुआ था सूरत के पुनर्निर्माण का काम।
  इस काम में मुख्य भूमिका निभाई आई.ए.एस.अफसर एस.आर.राव ने।
उन्होंने नगर की सूरत इस तरह बदल दी कि सूरत देश के सबसे स्वच्छ शहरों में एक गिना जाने लगा।
साथ ही,कुछ ही साल के भीतर निवेश के मामले में भी गुड़गांव और नोयडा के बाद सूरत का ही नाम आने लगा था।
 हां,तब की गुजरात की राजनीतिक कार्यपालिका ने एस.आर.राव के काम में हस्तक्षेप न करके उन्हें सहयोग किया।
अक्सर यह देखा जाता है कि यदि राजनीतिक कार्यपालिका किसी कत्र्तव्यनिष्ठ अफसर को उसके काम में हस्तक्षेप न करे तो बहुत अच्छे नतीजे आते हैं।
  हम उम्मीद करें कि कोरोना के बाद का देश-प्रदेश का जन- जीवन भी पहले से बेहतर ही होगा। 
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पर्यटन वीसा पर धर्म प्रचार !
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कोरोना संकट के समय एक खास बात का भी आम लोगों को पता चला।
विदेशों से लोगबाग आते तो रहे हैं पर्यटन वीसा पर ,पर करते रहे हैं धर्म प्रचार !
 यह काम कोई नया नहीं है।
पिछली सरकारों के दौर से ही यह होता रहा है।
पर सरकारें इस अनियमितता को नजरअंदाज करती रही है।
संभवतः अब ऐसा नहीं होगा।होना भी नहीं चाहिए।
  धार्मिक प्रचार करने या फिर धार्मिक समारोह में शामिल होने के लिए भारत सरकार किसी विदेशी को वीसा नहीं देती।
ऐसा कोई नियम ही नहीं है।
 केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के तहत 2015 में यह बात बताई थी।
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    उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाकर
   चीन कर सकता है प्रायश्चित !
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 कोरोना वायरस को लेकर बाकी अनेक देशों में चीन के प्रति नाराजगी देखी जा रही है।
पता नहीं कोरोना संकट से उबरने के बाद अन्य देशों का चीन से कैसा रिश्ता रहेगा !!
 यदि रिश्ता सामान्य हो जाए तो एक काम करके चीन अन्य देशों का गुस्सा थोड़ा कम कर सकता है।
  अक्सर यह शिकायत आती रहती है कि चीन के उत्पादों की गुणवत्ता 
ठीक नहीं है।
 हाल में चीन ने भारत को एक लाख 70 हजार पर्सनल प्रोटेक्सन इक्वीपमेंट भेजे।
उनमें से 50 हजार पी.पी.ई.सुरक्षा मानक पर खरे नहीं उतरे।
 अब तो गुणवत्ता सुधार कर चीन अपनी साख बढ़ाए !
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   और अंत में 
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सऊदी अरब सरकार ने विशेष नमाज घरों में ही पढ़ने को कहा है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान के करीब 50 सिनियर मौलानाओं ने धार्मिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ पाक सरकार को चेतावनी दे दी है।
मौलानाओं ने यह भी कहा कि वायरल से छुटकारा पाने के लिए जरुरी है कि वे अल्ला से माफी मांगें और मस्जिदों में जमघट बढ़ाएं।
 याद रहे कि भारत के अनेक मुस्लिम धर्म गुरुओं ने घरों में ही नमाज पढ़ने की लोगों से अपील की है।
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17 अप्रैल 2020 के प्रभात खबर,पटना में प्रकाशित मेरे साप्ताहिक काॅलम कानोंकान से।

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