शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

दिवंगत प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के सकारात्मक पक्षों के बारे में जब कोई प्रशंसात्मक पोस्ट मैं लिखता हूं तो 15-20 से अधिक लाइक नहीं मिलते।
फेसबुक वाॅल पर 12 अप्रैल, 2020 का मेरा एक ताजा पोस्ट भी इसका उदाहरण है।
पर जैसे ही किसी मामले में उनकी आलोचना लिख देता हूं तो 
देश भर से एक खास तरह  के बुद्धिजीवी नाराज हो उठते हैं।
ऐसा क्यों होता है ?
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मेरी व्यक्तिगत राय में आजादी की लड़ाई में नेहरू का योगदान प्रशंसनीय है।
पर आजादी के बाद एक सत्ताधारी के रूप में उनकी भूमिका को लेकर जो कुछ सवाल यदा- कदा उठते रहे हैं,उन्हें कालीन के नीचे तो दफनाया नहीं जा सकता है !  
  आपकी इसमें क्या राय है ?
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  ---सुरेंद्र किशोर--16 अप्रैल 2020

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